कुशल मजदूरों के लिए शहर के चौराहों पर नहीं, बल्कि अब नौकरियां उनकी मुट्ठी में होंगी। मोबाइल पर ही नौकरियां खुद घंटी बजाकर उन्हें बुलाएंगी। रोजाना सुबह-सुबह शहर के लेबर चौक पर भटकना नहीं पड़ेगा। मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र कुशल मजदूरों की भारी कमी से जूझ रहा है, जिसे पूरा करने के लिए राष्ट्रीय कुशलता विकास एजेंसी ने योजना तैयार की है। सरकार को अनुमान है कि योजना के शुरू होने के साथ ही हर महीने कम से कम 10 लाख लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सकेगा।सरकार इसके लिए श्रमिकों के आंकड़ों से भरपूर राष्ट्रीय लेबर मार्केट सूचना तंत्र का गठन कर रही है। इससे बेरोजगार युवकों को जहां रोजगार उपलब्ध होगा, वहीं उद्योग क्षेत्र की भी जरूरतें पूरी हो जाएंगी। सरकार इसके लिए एक आधिकारिक प्लेटफार्म उपलब्ध कराएगा। यह जानकारी नेशनल स्किल डेवलपमेंट एजेंसी [एनएसडीए] के महानिदेशक जेपी राय ने दी। राय यहां सिविल सोसाइटी ग्रुप पीआरआइए के आयोजित समारोह में हिस्सा लेने के बाद बोल रहे थे।
उद्योग व सेवा समेत अन्य क्षेत्रों में कुशल मजदूरों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार की यह अनूठी योजना है। थोड़े पढ़े लिखे युवाओं को भी सरकार उनकी काबिलियत के हिसाब से प्रशिक्षण देकर कुशल बनाएगी। नौकरियां दिलाने वाली मानव संसाधन एजेंसियों को भी सरकार मान्यता देगी। आभूषण, चमड़ा, ऑटोमोबाइल व रबर उद्योग के लिए सेक्टर स्किल काउंसिल का गठन कर दिया गया है।
एनएसडीए महानिदेशक राय ने कहा कि सरकार की यह पहल महीने में 10 लाख लोगों को नौकरियां मुहैया कराएगी। खास बात यह है कि 90 फीसद से अधिक नौकरियां गैर कृषि क्षेत्र में मिल रही हैं। नक्सल प्रभावित जिलों के लिए सरकार ने विशेष कार्यक्रम तैयार किया है। इसके तहत आर्थिक रूप से वंचित लोगों पर खास जोर दिया जाएगा। यहां के युवाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध कराया जाए, ताकि उनका आर्थिक विकास संभव हो सके।
Source: News in Hindi and Newspaper
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