कश्मीर के खिलाफ दुष्प्रचार करने का कोई भी मौका न गंवाने वाले अलगाववादी मुसीबत के समय में गुम हो गए हैं। कल तक जिस कश्मीर में सेना को वापस भेजने के नारे लगते थे आज वहां पर मरहम लगा रही सेना को लोग मदद के लिए आवाजें देकर बुला रहे हैं। बाढ़ग्रस्त कश्मीर में सेना मसीहा बन गई है। सैनिकों को देख लोगों में जीने की उम्मीद को बल मिल रहा है।
लोगों के हमदर्द होने का दम भर रहे अलगाववादी नेता लोगों को मझधार में छोड़ कर सिर्फ अपनी सुरक्षा पर ध्यान दे रहे हैं। सैन्य सूत्रों के अनुसार, अलगाववादी इस समय जान बचाने के लिए आम आदमी बन गए हैं। मसला देशवासियों की जान का है, इसलिए सेना के जवान बाढ़ में फंसे एक-एक कश्मीरी को बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा रहे हैं। चुनौती बहुत बड़ी है। इस समय कश्मीर में करीब चार लाख लोग बाढ़ में फंसे हुए हैं। सेना लोगों को बचाने के लिए दिन-रात एक कर रही है लेकिन नौकाओं की कमी राहत अभियान में बाधा बनी हुई है। लोगों में अलगाववादी नेताओं और राज्य सरकार के प्रति काफी रोष है। ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस का कोई भी नेता पिछले कई दिनों से जारी आपदा में सामने नहीं आया है। लोगों का कहना है कि कि उनके हितैषी होने का दम भरने वाले सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक, यासीन मलिक व शब्बीर शाह सुरक्षित स्थानों पर शरण ले अपनी जान बचा रहे हैं।
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कश्मीर में राहत के काम को देखते हुए क्या वे लोग अपनी गलती मानेंगे जो कहते थे कि भारत को कश्मीर की परवाह नहीं और मोदी को मुसलमानों की चिंता नहीं? -चेतन भगत का ट्वीट
लोगों के हमदर्द होने का दम भर रहे अलगाववादी नेता लोगों को मझधार में छोड़ कर सिर्फ अपनी सुरक्षा पर ध्यान दे रहे हैं। सैन्य सूत्रों के अनुसार, अलगाववादी इस समय जान बचाने के लिए आम आदमी बन गए हैं। मसला देशवासियों की जान का है, इसलिए सेना के जवान बाढ़ में फंसे एक-एक कश्मीरी को बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा रहे हैं। चुनौती बहुत बड़ी है। इस समय कश्मीर में करीब चार लाख लोग बाढ़ में फंसे हुए हैं। सेना लोगों को बचाने के लिए दिन-रात एक कर रही है लेकिन नौकाओं की कमी राहत अभियान में बाधा बनी हुई है। लोगों में अलगाववादी नेताओं और राज्य सरकार के प्रति काफी रोष है। ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस का कोई भी नेता पिछले कई दिनों से जारी आपदा में सामने नहीं आया है। लोगों का कहना है कि कि उनके हितैषी होने का दम भरने वाले सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक, यासीन मलिक व शब्बीर शाह सुरक्षित स्थानों पर शरण ले अपनी जान बचा रहे हैं।
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कश्मीर में राहत के काम को देखते हुए क्या वे लोग अपनी गलती मानेंगे जो कहते थे कि भारत को कश्मीर की परवाह नहीं और मोदी को मुसलमानों की चिंता नहीं? -चेतन भगत का ट्वीट
Source: News in Hindi and Newspaper
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