पंचैरी क्षेत्र के विभिन्न गांवों के घरों के आंगन में कभी बच्चों की किलकारियां गूंजा करती थीं, लेकिन अब यहां मातम पसरा है। पांच सितंबर की उस विनाशकारी शाम से पहले जब जम्मू कश्मीर में बाढ़ ने तबाही मचाना शुरू किया, सदल गांव में सब कुछ सामान्य था। अब पूरा गांव मलबे के ढेर में दबा हुआ है। कितने लोग भूस्खलन में जीवित ही जमींदोज हो गए, इस बात का आंकड़ा प्रशासन के पास भी नहीं है। ग्रामीण कह रहे हैं कि आपदा में 37 लोग लापता हैं। गुरुवार रात को हुई तेज बारिश ने भी कई जगहों पर राहत कार्य को प्रभावित करने का काम किया है।
गांव में कई शव मलबे के ढेर में दबे हुए हैं। जो जीवित बच गए वे अब भी अपनों के सुरक्षित मलबे से निकल आने की उम्मीद लगाए हैं। पहाड़ों के बीच स्थित सदल गांव में भूस्खलन के छह दिन बीतने के बावजूद सेना का विमान यहां लैंड नहीं कर पा रहा। केवल सदल गांव ही नहीं बल्कि उससे लगते गलियोत, कुलटैड, पंचर पंचायत व कई अन्य गांवों के लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए हैं। राहत शिविरों में लोग दिन तो खुले में काट लेते हैं, लेकिन रात काटना मुश्किल हो जाता है। इन क्षेत्रों में प्रशासन की ओर से कोई अधिकारी तो पीड़ित लोगों तक नहीं पहुंच पाया अलबत्ता सेना के जवान संयुक्त तौर पर बचाव कार्यो को अंजाम दे रहे हैं।
गांव में कई शव मलबे के ढेर में दबे हुए हैं। जो जीवित बच गए वे अब भी अपनों के सुरक्षित मलबे से निकल आने की उम्मीद लगाए हैं। पहाड़ों के बीच स्थित सदल गांव में भूस्खलन के छह दिन बीतने के बावजूद सेना का विमान यहां लैंड नहीं कर पा रहा। केवल सदल गांव ही नहीं बल्कि उससे लगते गलियोत, कुलटैड, पंचर पंचायत व कई अन्य गांवों के लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए हैं। राहत शिविरों में लोग दिन तो खुले में काट लेते हैं, लेकिन रात काटना मुश्किल हो जाता है। इन क्षेत्रों में प्रशासन की ओर से कोई अधिकारी तो पीड़ित लोगों तक नहीं पहुंच पाया अलबत्ता सेना के जवान संयुक्त तौर पर बचाव कार्यो को अंजाम दे रहे हैं।
Source: News in Hindi and Newspaper
No comments:
Post a Comment