Saturday, 6 September 2014

Almora cowboy Koli's made a vampire

मेरठ जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में इस समय मौत का सन्नाटा है। इस हाई सिक्योरिटी बैरक में इस समय देश का सबसे घृणित अपराधी और दरिंदगी का पर्याय सुरेंद्र कोली अपने मौत के दिन गिन रहा है। जेल सूत्रों का कहना है कि कोली ने पढ़ने के लिए धर्मग्रंथ मांगे हैं। भारत के कानून ने उसके लिए मौत की सजा सुना दी है, शायद धर्मग्रंथों में वो अपना पश्चाताप और कुछ दया तलाश रहा हो।

2006 की गर्मियों से पहले नोएडा के निठारी में गरीब परिवारों के बच्चे गायब होने शुरू हुए थे। जून 2006 में जब वहां नाले-नालियों में पॉलीथिन में बंद बच्चों के कंकाल बड़े पैमाने पर मिलने शुरू हुए तो दुनिया के आपराधिक नक्शे पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का यह निठारी गांव छा चुका था। पुलिस ने जांच शुरू की तो अपराध की वीभत्सता के दो किरदार सामने आ चुके थे। जांच जल्दी ही सीबीआइ को मिल गई और नोएडा के डी-5 में रहने वाले ये किरदार थे कोठी मालिक मोहिंदर सिंह पंधेर और उसका नौकर सुरेंद्र कोली। हालांकि बच्चों के साथ दुष्कर्म उनकी हत्या के ये दोनों आरोपी तमाम मामलों में दो किनारों पर खड़े थे।

एक उद्योगपति और एक चरवाहा

नोएडा के डी-5 में रहने वाला पंधेर सभ्य समाज की नुमाइंदगी करने वाला एक ऐसा शख्स था, जिसके इस कृत्य के बारे में उसके जानने वाले यकीन ही नहीं कर पा रहे थे। इन लोगों को यह बात पच नहीं रही थी कि पंधेर की कोठी में बच्चों का कत्ल-यौनाचार ही नहीं, बल्कि उनके मांस का भक्षण तक किया गया। गहरे चश्मे और रौबदार दाढ़ी-मूंछ वाले पंधेर की पारिवारिक पृष्ठभूमि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आजदी के बाद उसका परिवार ट्रक ट्रांसपोर्ट के बिजनेस में एक हैसियत रखता था। पंधेर की स्कूली शिक्षा-दीक्षा शिमला के प्रतिष्ठित बिशप काटन स्कूल में हुई थी। यह वही स्कूल है, जिसमें बॉलीवुड के अपने जमाने के जुबली स्टार राजेंद्र कुमार के बेटे लव स्टोरी फेम कुमार गौरव भी पढ़े थे। इतना ही नहीं, बाद में पंधेर ने कालेज की पढ़ाई दिल्ली के विख्यात सेंट स्टीफेंस कालेज में की। जाहिर है कि किसी स्टीफेनियन से ऐसी दरिंदगी की शायद ही कोई कल्पना करे।

उधर, दूसरी तरफ कोली का अल्मोड़ा का गांव वैसे ही दूसरे पहाड़ों के गांव की तरह था, जहां जीने के लिए पहाड़ से ज्यादा धैर्य चाहिए। गांव वालों और सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक कोली ने कक्षा छह के बाद स्कूल को तौबा कर ली और बकरियां वगैरह चराने लगा था। प्रचलित शब्दावली का सहारा लेकर हम उसे स्कूल ड्राप आउट कह सकते हैं। एक स्कूल ड्राप आउट और स्टीफेनियन की मुलाकात से पहले भी कोली की एक बड़ी गुमनाम-सी, लेकिन अजीबोगरीब जिंदगी थी। एक अजीब से ठंडे व्यक्तित्व का शिकार कोली का मन गांव में बकरियां चराने में ज्यादा नहीं लगा और उसने दिल्ली के एक होटल में नौकरी कर ली। शुरू में उसका काम वाशरूम की सफाई वगैरह था। निठारी कांड के बाद दर्जनों बच्चों के कत्ल के इस आरोपी के बारे में गांव में पूछताछ की गई तो गांव वालों का कोली का ध्यान भी नहीं था। कुछ ने बताया कि गांव में कोली कभी-कभी अजीबोगरीब काम करता था।

पुलिस सूत्रों के अनुसार गांव वालों ने बताया कि कभी-कभी वह जानवरों का कच्चा मांस खा लिया करता था और अपने में ही खोया रहता था। मतलब कि कच्चा मांस खाना कोली की मानसिक विकृति थी। उधर, इस विकृति के बीच कुदरत ने उसे बेहतरीन रसोइये का हुनर बख्श रखा था। इसी हुनर ने कोली को सफाई के काम से निकालकर नोएडा के सेक्टर-29 के एक रिटायर्ड ब्रिगेडियर के यहां पहुंचाया। यहां उसे बावर्ची की नौकरी मिली। कोली ने यहां पांच साल गुजारे। 1998 में शादी करने के लिए कोली गांव लौटा। शादी हुई, लेकिन पत्नी में मन नहीं रमा। वह फिर नोएडा लौटा। इस बार वह सेना के एक रिटायर्ड मेजर का रसोइया बना। यहीं उसकी मुलाकात पंधेर से हुई। इसके बाद से कोली और पंधेर की जिंदगी ने दरिंदगी की राह पकड़ी। जल्द ही वह पंधेर की कोठी डी-5 का केयरटेकर बन चुका था। यहां तक पुलिस के किसी दस्तावेज में सुरेंद्र कोली का नाम तक नहीं था।

पिशाचों का संसार

2004 में पंधेर का परिवार पंजाब चला गया। पंधेर का अपनी पत्नी से अलगाव हो चुका था। कोली भी अपनी पत्नी को गांव में छोड़ चुका था। जून 2006 में जब इसकी केस की विवेचना शुरू हुई तो नए नए तथ्य सामने आने लगे। पता चला कि सेक्टर 31 के डी-5 में अक्सर कालगर्ल आती थीं। पंधेर की बुलाई कालगर्ल से कोली भी नजदीकी बढ़ाना चाहता था। इस दौरान मिली दुत्कार उसमें कुंठा भरने लगी। हालांकि निठारी कांड का पूरा घटनाक्रम सामने आने के बाद पुलिस और सीबीआइ की थ्योरी यह भी है कि सुरेंदर कोली 'नेक्रोफीलिया' नामक बीमारी का शिकार था। इस बीमारी में व्यक्ति लाश के साथ यौनाचार का आदी हो जाता है। कोली ने अपनी पूछताछ में बच्चियों-किशोरियों की लाशों के साथ सेक्स करने की बात कुबूल भी की थी। ब्रेन मैपिंग और नार्को एनालिसिस में भी इसके संकेत मिले हैं कि वह मृत शरीर का मांस भी खाता था।

बच्चों के साथ दुष्कर्म और फिर उनका कत्ल करने के बाद उन्हें टुकड़े-टुकड़े कर नालियों में बहा देने के आरोपी कोली को फिलहाल रिंपा हलदर कांड में मौत की सजा हो चुकी है। अल्मोड़ा के एक गांव का अंतर्मुखी चरवाहा और आपराधिक इतिहास के घृणित चेहरों में से एक यह सुरेंद्र कोली आज मेरठ की चौ. चरण सिंह जेल में मौत के रास्ते अपनी 'मुक्ति' का इंतजार कर रहा है।

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