Wednesday, 3 September 2014

Modi's american show to be bigger than japan

वाशिंगटन से लौटकर जय प्रकाश रंजन। जापान में अपनी कूटनीतिक सोच का लोहा मनवा चुके नरेंद्र मोदी का 'अमेरिका शो' इससे भी भव्य होगा। राष्ट्रपति बराक ओबामा का प्रशासन मोदी की भव्य अगवानी की तैयारियों में जुट गया है। सितंबर के आखिरी सप्ताह से शुरू होने जा रही मोदी की यात्रा के दौरान रक्षा, ऊर्जा और आंतरिक सुरक्षा के मामले में दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक समझौते होने की उम्मीद है। जापान की तरह ही अमेरिकी कंपनियों की तरफ से भारत में अरबों डॉलर के नए निवेश की घोषणा भी यात्रा के दौरान की जाएगी।

अमेरिकी प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक जिस तरह से वर्ष 2001 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की यात्रा ने भारत व अमेरिका के रिश्तों में गर्मजोशी भर दी थी, मोदी की यात्रा का कुछ वैसा ही असर होगा। सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से कारोबार एवं निवेश के अनुकूल माहौल बनाने का काम शुरू किया है। उससे अमेरिका का उद्योग समुदाय काफी उत्साहित है। गुजरात में निवेश करने वाली अमेरिकी कंपनियों ने भी ओबामा प्रशासन को काफी सकारात्मक रिपोर्ट भेजी है। इस वजह से अमेरिका में मोदी की छवि कारोबार को बढ़ावा देने वाले एक नेता के तौर पर बनी है। अचंभा नहीं होना चाहिए अगर भारत में अमेरिकी कंपनियों की तरफ से निवेश का नया सिलसिला शुरू हो।

जानकारों के मुताबिक मोदी और ओबामा द्विपक्षीय कारोबार की नई इबारत लिखने की कोशिश करेंगे। अभी दोनों देशों के बीच 100 अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार होता है, लेकिन अमेरिकी सरकार मानती है कि यह 500 अरब डॉलर का होना चाहिए। इस बात की संभावना है कि राष्ट्रपति ओबामा और प्रधानमंत्री मोदी के बीच द्विपक्षीय कारोबार को 500 अरब डॉलर करने की नींव रखी जाए। द्विपक्षीय कारोबार में रक्षा मामलों की अहम भूमिका होगी। मोदी सरकार की तरफ से रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने के फैसले को लेकर अमेरिका का एक बड़ा लॉबी बहुत ही उत्साहित है।

जानकारों के मुताबिक मोदी की संभावित यात्रा को देखते हुए ही अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) में कृषि सब्सिडी पर भारत के बेहद कठोर फैसले को फिलहाल तवज्जो नहीं दे रहा है। जबकि अमेरिकी प्रशासन के लोग मानते हैं कि भारत व अमेरिका के बीच रिश्ते में कृषि सब्सिडी पर भारत का रवैया काफी चिंता की बात है। मोदी की यात्रा के बाद अमेरिका इस मुद्दे पर भारत के साथ द्विपक्षीय स्तर पर बातचीत शुरू करने की मंशा रखता है।

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