फांसी मुकर्रर होने के बाद प्रशासन ने भी फांसी घर को तैयार कर लिया। पवन जल्लाद ही सुरेंद्र कोली को मेरठ जेल में फांसी देगा। वरिष्ठ जेल अधीक्षक का कहना है कि फांसी की तिथि को गोपनीय रखा जा रहा है। अभी तक दस सितंबर की तिथि नियत की गई है। अभी तक अफसरों ने उन्हें फोन पर ही जानकारी दी है। मेरठ जेल के फांसी घर में 39 साल बाद किसी को फांसी दी जाएगी।
निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को सीबीआइ कोर्ट से फांसी की सजा मुकर्रर होने के बाद प्रशासनिक अमले में खलबली मच गई है। शासन ने भी फांसी की व्यवस्था को लेकर मेरठ के प्रशासनिक अफसरों से वार्ता की है। उसी के बाद सुरेंद्र कोली को गाजियाबाद की डासना जेल से मेरठ में शिफ्ट कर दिया गया। अभी तक दस सितंबर को फांसी देने की बात चल रही है। लिखित तारीख नहीं होने के कारण अभी तिथि को गोपनीय रखा जा रहा है। एक दो दिन आगे या पीछे भी बढ़ाया जा सकता है।
वरिष्ठ जेल अधीक्षक मोहम्मद हुसैन मुस्तफा रिजवी ने बताया कि डीआइजी की काल आने के बाद फांसी घर की साफ सफाई करा दी गई। पवन जल्लाद ने भी फांसी घर का निरीक्षण कर लिया है। दरअसल, यहां अंतिम फांसी जुलाई 1975 में हुई थी। इसलिए फांसी घर खंडहर हालत में पड़ा हुआ था। तख्ते, एंगल और फांसी के लिए 15 मीटर की रस्सी का भी इंतजाम कर लिया है। रिजवी ने कहा कि, उनकी जेल का फांसी घर तैयार हो चुका है। किसी भी वक्त सुरेंद्र कोली को मेरठ जेल में शिफ्ट किया जा सकता है।
तसल्ली मिलेगी
सुरेंद्र कोली को फांसी देने की सूचना मिलने के बाद पवन जल्लाद अफसरों से मिला। फांसी घर का निरीक्षण करने के बाद पवन जल्लाद ने बताया कि, अब तक पापा और दादा के साथ पहले भी फांसी देख चुका हूं। इस बार खुद फांसी दूंगा। पवन ने कहा कि कोली ने मासूमों के साथ पैशाचिक कृत्य किए हैं। इस दानव को फांसी पर लटकाने में उसके हाथ नहीं कांपेगे, बल्कि तसल्ली मिलेगी। पवन ने कहा कि निठारी कांड के मुख्य आरोपी पंढेर को भी उसके किए की सजा मिलनी चाहिए।
कोली को मेरठ जेल में फांसी देने के आदेश तत्काल बाद जेल प्रशासन पूरी तरह सक्रिय हो गया। पवन जल्लाद को तत्काल जेल परिसर तलब किया गया। इस पर पवन अपनी साइकिल से जेल परिसर पहुंचा। वहां अफसरों ने पवन को साथ लेकर फांसी घर के चप्पे चप्पे का जायजा लिया। फांसी घर में तख्त, फंदा, एंगल, सीढ़ी आदि सामानों को निरीक्षण किया है। पवन ने बताया कि, कोली को फांसी देने के पहले उसे पूरी प्रक्रिया का पूर्वाभ्यास क रना होगा।
जल्लाद : पीढ़ी दर पीढ़ी
पवन जल्लाद को फांसी लगाने का पेशा विरासत में मिला। उनके परदादा ननवा और वजीर चंद अंग्रेजों के जमाने से फांसी लगाने का काम करते आ रहे थे। उनकी मौत के बाद यह काम कल्लू जल्लाद के हाथों में आया। उनके बाद मम्मू जल्लाद और अब मम्मू का पुत्र पवन उर्फ सिंधी भी फांसी देने के लिए तैयार है। पवन ने अभी तक फांसी नहीं दी है, लेकिन वह मम्मू को फांसी देते देख चुका है। सात बेटों और दो बेटियों के पिता रहे मम्मू मेरठ ही नहीं जबलपुर, जयपुर, दिल्ली और पंजाब में एक दर्जन से ज्यादा लोगों को फांसी पर लटकाया। विदेश में भी उसकी सेवाएं ली गई थीं।
निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को सीबीआइ कोर्ट से फांसी की सजा मुकर्रर होने के बाद प्रशासनिक अमले में खलबली मच गई है। शासन ने भी फांसी की व्यवस्था को लेकर मेरठ के प्रशासनिक अफसरों से वार्ता की है। उसी के बाद सुरेंद्र कोली को गाजियाबाद की डासना जेल से मेरठ में शिफ्ट कर दिया गया। अभी तक दस सितंबर को फांसी देने की बात चल रही है। लिखित तारीख नहीं होने के कारण अभी तिथि को गोपनीय रखा जा रहा है। एक दो दिन आगे या पीछे भी बढ़ाया जा सकता है।
वरिष्ठ जेल अधीक्षक मोहम्मद हुसैन मुस्तफा रिजवी ने बताया कि डीआइजी की काल आने के बाद फांसी घर की साफ सफाई करा दी गई। पवन जल्लाद ने भी फांसी घर का निरीक्षण कर लिया है। दरअसल, यहां अंतिम फांसी जुलाई 1975 में हुई थी। इसलिए फांसी घर खंडहर हालत में पड़ा हुआ था। तख्ते, एंगल और फांसी के लिए 15 मीटर की रस्सी का भी इंतजाम कर लिया है। रिजवी ने कहा कि, उनकी जेल का फांसी घर तैयार हो चुका है। किसी भी वक्त सुरेंद्र कोली को मेरठ जेल में शिफ्ट किया जा सकता है।
तसल्ली मिलेगी
सुरेंद्र कोली को फांसी देने की सूचना मिलने के बाद पवन जल्लाद अफसरों से मिला। फांसी घर का निरीक्षण करने के बाद पवन जल्लाद ने बताया कि, अब तक पापा और दादा के साथ पहले भी फांसी देख चुका हूं। इस बार खुद फांसी दूंगा। पवन ने कहा कि कोली ने मासूमों के साथ पैशाचिक कृत्य किए हैं। इस दानव को फांसी पर लटकाने में उसके हाथ नहीं कांपेगे, बल्कि तसल्ली मिलेगी। पवन ने कहा कि निठारी कांड के मुख्य आरोपी पंढेर को भी उसके किए की सजा मिलनी चाहिए।
कोली को मेरठ जेल में फांसी देने के आदेश तत्काल बाद जेल प्रशासन पूरी तरह सक्रिय हो गया। पवन जल्लाद को तत्काल जेल परिसर तलब किया गया। इस पर पवन अपनी साइकिल से जेल परिसर पहुंचा। वहां अफसरों ने पवन को साथ लेकर फांसी घर के चप्पे चप्पे का जायजा लिया। फांसी घर में तख्त, फंदा, एंगल, सीढ़ी आदि सामानों को निरीक्षण किया है। पवन ने बताया कि, कोली को फांसी देने के पहले उसे पूरी प्रक्रिया का पूर्वाभ्यास क रना होगा।
जल्लाद : पीढ़ी दर पीढ़ी
पवन जल्लाद को फांसी लगाने का पेशा विरासत में मिला। उनके परदादा ननवा और वजीर चंद अंग्रेजों के जमाने से फांसी लगाने का काम करते आ रहे थे। उनकी मौत के बाद यह काम कल्लू जल्लाद के हाथों में आया। उनके बाद मम्मू जल्लाद और अब मम्मू का पुत्र पवन उर्फ सिंधी भी फांसी देने के लिए तैयार है। पवन ने अभी तक फांसी नहीं दी है, लेकिन वह मम्मू को फांसी देते देख चुका है। सात बेटों और दो बेटियों के पिता रहे मम्मू मेरठ ही नहीं जबलपुर, जयपुर, दिल्ली और पंजाब में एक दर्जन से ज्यादा लोगों को फांसी पर लटकाया। विदेश में भी उसकी सेवाएं ली गई थीं।
Source: News in Hindi and Newspaper
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