Thursday, 11 September 2014

J and K floods: NDRF jawan injured in attack by angry locals


पिछले 60 सालों में पहली बार आई भीषण बाढ़ से जूझ रहे श्रीनगर में जलस्तर तो कम होने लगा है पर राहत व बचाव कार्यो से असंतुष्ट लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। बुधवार को पानी में फंसे कई लोगों की बचाव कार्य में लगे राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल (एनडीआरएफ) के जवानों से झड़प हो गई, जिसमें दो जवान घायल हो गए। नाराज लोगों ने घरों की छत से वायुसेना के हेलीकॉप्टर और ट्रक पर पत्थर बरसाए। एक राहत शिविर में पनाह लेने वालों का हालचाल जानने गए पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज को भी आक्रोश का सामना करना पड़ा। इस बीच मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने लोगों के गुस्से को जायज ठहराते हुए कहा है कि वह बगैर खाना-पानी फंसे लोगों की भावनाएं समझ सकते हैं। सरकार उन्हें बचाने की अपनी पूरी कोशिश कर रही है। वहीं, लोगों को सुरक्षित बचाने में जुटे अपने जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग भी श्रीनगर पहुंचे।

कश्मीर में बाढ़ से तबाही का मंजर भयानक होता जा रहा है। सेना के व्यापक बचाव अभियान के बावजूद अभी भी चार लाख के करीब लोग बाढ़ में फंसे हैं। एक लाख पहले ही बचाए जा चुके हैं। शाम तक 35 हजार और लोगों को भी सेना ने सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दिया। श्रीनगर के प्रभावित इलाकों में जलस्तर तीन से चार फुट तक गिर गया। शवों के मिलने का सिलसिला जारी है। आंकड़ा ढाई सौ से ऊपर जाना तय है। सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सैन्य हेलीकाप्टर में बैठकर राहत अभियान में हिस्सा लिया। कुछ हिस्सों में बीएसएनएल सेवा बहाल होने से राहत व बचाव कार्यो में मदद मिली है। जलस्तर कम होने के साथ ही बीमारियों का खतरा बढ़ने लगा है। पानी में जानवरों के शव भी तैर रहे हैं।

बिना खाना-पानी इधर-उधर पानी में फंसे लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है। हुमामा क्षेत्र स्थित एक राहत शिविर में गए सैफुद्दीन सोज से तो लोगों ने धक्कामुक्की की कोशिश की। मौके पर मौजूद सेना के जवानों और अन्य सुरक्षाकर्मियों ने बीच-बचाव किया। 'वापस जाओ' और 'नर्क में जाओ' जैसे नारे लगाते हुए प्रभावितों का कहना था कि बचाव कार्यो के दौरान राज्य सरकार के अधिकारी पूरी तरह नदारद रहे हैं।

बिना खाना-पानी फंसे एक हजार फौजी:

एक तरफ सेना के जवान अपनी जान पर खेलकर भीषण बाढ़ में फंसे लोगों की जान की रक्षा कर रहे हैं, वहीं एक हजार से ज्यादा फौजी और उनके परिवार श्रीनगर के अलग-अलग सैन्य कैंपों में बगैर खाना-पानी के फंसे पड़े हैं। एक अधिकारी ने बताया कि सेना के ज्यादातर शिविर बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित दक्षिण कश्मीर में स्थित हैं। वहां फंसे जवानों और उनके परिजनों को अब तक नहीं निकाला जा सका है।

यहां बिजली व संचार सुविधाएं पूरी तरह ठप हैं। किसी से संपर्क नहीं हो पा रहा है। मध्य और दक्षिण कश्मीर में सेना के करीब बीस बड़े और छोटे कैंप हैं जो पानी में डूबे हुए हैं।

रूसी महिलाओं ने मिसाल पेश की:

बाढ़ में फंसा हर कोई जहां इस चक्कर में है कि कितनी जल्दी वह वहां से बाहर निकले, इन हालातों में रूस की दो महिलाओं ने मिसाल पेश की है। श्रीनगर के एक होटल में फंसी इन दोनों महिलाओं को सुरक्षित निकालने के लिए जब वायुसेना के जवान पहुंचे तो उन्होंने कहा कि वे पहले उन लोगों की जान बचाएं जो बीमार हैं।

उन्हें पहले सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाना चाहिए। इनके अलावा कुछ मोहल्लों के लोगों ने भी समझदारी दिखाते हुए सैन्यकर्मियों से पहले असहाय लोगों की मदद करने की अपील की।

जवान-विमान बढ़े:

बचाव अभियान में तेजी लाते हुए सेना ने आठवें दिन जवानों और विमानों की संख्या बढ़ा दी है। इस समय वायुसेना के 79 छोटे-बड़े विमान राहत व बचाव कार्य में जुटे हुए हैं।

उत्तरी कमान के पीआरओ डिफेंस कर्नल एसडी गोस्वामी ने बताया कि प्रभावित लोगों को ठहराने के लिए सेना ने 18 कैंप स्थापित किए हैं। अब तक भरी गई 710 उड़ानों में कश्मीर में करीब सौ उड़ाने बुधवार को भरी गई। लोगों में 807 टन राहत सामग्री बांटी गई है।

किसने, क्या-कहा:

''लोग नाराजगी जता रहे हैं, इसका मतलब है कि वे किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिए गए हैं। वे बहुत ही कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है।''

-उमर अब्दुल्ला, मुख्यमंत्री

''सेना दिन-रात लगातार अभियान चलाकर बाढ़ग्रस्त इलाकों में फंसे लोगों की जान बचाएगी। अगले दो से तीन दिनों में सभी प्रभावितों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दिया जाएगा।''

-जनरल दलबीर सिंह सुहाग, सेनाप्रमुख

Source: News in Hindi and Newspaper

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