नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड [बीसीसीआइ] ने ललित मोदी को राजस्थान क्रिकेट संघ [आरसीए] का अध्यक्ष बनने से रोकने के लिए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आरसीए के चुनावों का नतीजा अगले सप्ताह तक आने की उम्मीद है, जिसमें मोदी और उनके समर्थक अभी से जीत का भरोसा जता रहे हैं। आरसीए के चुनाव 19 दिसंबर को कराए गए थे।
बीसीसीआइ का इरादा सुप्रीम कोर्ट का रुखकर आइपीएल के निलंबित कमिश्नर मोदी को क्रिकेट प्रशासन में वापसी से रोकना भी है। बीसीसीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा कि मोदी के आरसीए से जुड़ने पर क्रिकेट बोर्ड की छवि खराब हो जाएगी। बीसीसीआइ ने सितंबर 2013 में मोदी पर आइपीएल के दौरान वित्तीय अनियमितताएं बरतने का आरोप लगाते हुए आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था। मोदी 2008 से 2010 तक आइपीएल के कमिश्नर रहे थे।
क्रिकेट बोर्ड ने अपनी याचिका में साथ ही कहा कि बीसीसीआइ की आपत्तियों के बावजूद मोदी को आरसीए में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के तौर पर खड़ा किया गया। ऐसे में मोदी का नामांकन ही गलत है। आरसीए के चुनावों की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के दो पूर्व न्यायाधीशों को नियुक्त किया गया था जिन्होंने मोदी को नियमानुसार चुनावों में खड़े होने की अनुमति दी थी।
आरसीए में ललित मोदी की वापसी निश्चित तौर पर बीसीसीआइ और उसकेटॉप मैनेजमेंट के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है। मोदी और बीसीसीआइ अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। मोदी को शरद पवार का नजदीकी माना जाता है और देश में बदल रही राजनीतिक परिस्थितियां और आरसीए चुनाव के नतीजे बीसीसीआइ में भी शक्तिकी स्थिति में बदलाव ला सकते हैं। मोदी 2005 में आरसीए अध्यक्ष बने थे जब बीजेपी की वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री थीं। रोचक तथ्य यह है कि इस बार जब मोदी ने आरसीए का चुनाव लड़ा तो वसुंधरा राजे राजस्थान में बीजेपी को मिली भारी सफलता के साथ फिर सत्ता में हैं।
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