ढाका। बांग्लादेश में विपक्षी दलों के बहिष्कार और भारी हिंसा के बीच रविवार को हुए आम चुनाव में सत्तारूढ़ अवामी लीग ने बड़ी जीत दर्ज की। 147 सीटों के लिए हुए मतदान में बहुत कम लोगों हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी को 95 सीटें मिलीं जबकि जातीय पार्टी को 12 और और अन्य छोटे दलों या स्वतंत्र प्रत्याशियों को 13 सीटों पर संतोष करना पड़ा।
इस दौरान हुए संघर्षो में 21 लोग मारे गए जबकि दो सौ से अधिक मतदान केंद्रों में आग लगा दी गई। कम मतदान होने पर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख व पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया ने इस चुनाव के औचित्य पर सवाल उठाए हैं और विपक्षी दलों के साथ फिर दो दिवसीय बंद का आह्वान किया है।
देशभर में बीएनपी की अगुआई में 18 दलों के कार्यकर्ताओं ने मतदान का उग्र विरोध किया। इन दलों ने शनिवार से ही दो दिवसीय राष्ट्रीय बंद का आह्वान किया था। भारी सुरक्षा बलों की तैनाती के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने कई मतदान केंद्रों पर देसी बम फेंके। पुलिस के अनुसार, हिंसा में 16 लोग मारे गए हैं। मरने वालों में ज्यादातर विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ता हैं।
इसके अलावा दिनाजपुर में एक मतदान केंद्र में तैनात एक पुलिसकर्मी की भी हत्या कर दी गई। शनिवार की रात के दौरान एक चुनाव अधिकारी सहित दो लोग मार डाले गए। प्रधानमंत्री हसीना गोपालगंज और रंगपुर क्षेत्र से जीत गई हैं। विपक्ष ने परिणाम आने के बाद सोमवार से दो दिनों के और बंद का आह्वान किया है।
बांग्लादेश में 300 निर्वाचन क्षेत्रों में से 147 के लिए रविवार सुबह आठ बजे से मतदान शुरू हुआ लेकिन हिंसा के डर से ज्यादातर लोग घरों में ही दुबके रहे। बीएनपी और इसके सहयोगियों ने चुनाव का बहिष्कार किया है, लिहाजा शेष 153 उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए जाएंगे। मतदान शाम चार बजे तक हुए जिसके तुरंत बाद मतों की गिनती शुरू हो गई।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, कई मतदान केंद्रों पर शुरुआती घंटों में एक भी मत नहीं डाला गया। आगजनी और बैलेट बॉक्स लूट लिए जाने के कारण 160 पोलिंग बूथों पर मतदान को स्थगित कर दिया गया जबकि विपक्षी प्रदर्शनकारियों ने दो सौ से अधिक मतदान केंद्रों को आग के हवाले कर दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त रकीबुद्दिन अहमद ने निष्पक्ष चुनाव कराए जाने का दावा किया है।
बीएनपी सहित विपक्षी पार्टियां चुनाव स्थगित कर गैरदलीय कार्यवाहक सरकार के गठन की मांग कर रही थीं लेकिन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उनकी मांगों को खारिज कर दिया। इसके चलते गत नवंबर से पूरे देश में विपक्ष की हड़ताल, बंद और प्रदर्शन के दौरान राजनीतिक हिंसा से 140 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इन दलों ने इसी वजह से चुनाव का बहिष्कार किया।
Source : News in Hindi
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