रामपुर। नगर विकास मंत्री आजम खां के अपने शहर में ही अधिशासी अधिकारी [ईओ] नहीं है। यहां एक रिटायर्ड अफसर से ईओ का काम लिया जा रहा है। शासन ने उन्हें विशेष कार्याधिकारी बना दिया है। बात पूरे जिले की करें तो आठ में से केवल दो नगर निकायों में ही ईओ तैनात हैं, अन्य स्थानों पर दूसरे अफसरों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है।
उत्तर प्रदेश के तेज तर्रार मंत्री आजम खां भले ही चिकित्सा जैसे अन्य विभागों में डाक्टरों की कमी का सवाल उठाते रहे हैं, लेकिन उनके ही जिले में उनके ही विभाग में अफसरों की भारी कमी है। हालत यह है कि ईओ का काम यहां तहसीलदार व नायब तहसीलदार देख रहे हैं। रामपुर शहर में 19 नवंबर को अधिशासी अधिकारी शहिंशाह वली खां की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसके बाद यहां किसी की नियुक्ति नहीं की गई। एसडीएम सदर को उनका चार्ज दे दिया गया। शहिंशाह वली खां के पास बिलासपुर और केमरी के ईओ का चार्ज भी था। जिलाधिकारी ने बिलासपुर में तहसीलदार व केमरी में नायब तहसीलदार को ईओ की जिम्मेदारी सौंप दी। अब ये दोनों अधिकारी ही काम चला रहे हैं।
रामपुर शहर में इसी सप्ताह माता प्रसाद सिंह की विशेष कार्याधिकारी के रूप में तैनाती की गई है। वह पहले भी यहां अधिशासी अधिकारी रहे हैं, लेकिन रिटायर हो चुके हैं, जिलाधिकारी नरेंद्र कुमार सिंह चौहान का कहना है कि जिले में अधिशासी अधिकारियों की कमी के बारे में कई बार शासन को लिखा गया। नगर विकास मंत्री को भी अवगत कराया गया, लेकिन अभी तक तैनाती नहीं हो पाई है।
नतीजन शहरी विकास का काम यहां जैसे-तैसे चल रहा है। उधार के अफसर अपने मूल विभाग को समय देते हैं तो नगर का काम और नगर विकास को समय देते हैं तो उनके विभाग का काम प्रभावित होता है। योजनाओं की मानीटरिंग से लेकर निर्माण और साफ-सफाई जैसे नित दिन के कार्य को उधार के अफसरों के भरोसे कहां तक संचालित किया जा सकता है इसका अंदाजा भी इसी से लगाया जा सकता है।
नगर विकास मंत्री आजम खां ने कहा है कि मैं चाहता हूं कि शासन सीधे ईओ की भर्ती करे। अब तक लोकसेवा आयोग के जरिये ईओ की नियुक्ति होती रही है। लोकसेवा आयोग से नियुक्ति प्रक्रिया में काफी विलंब होता है। इसीलिए मैं सीधे ईओ की भर्ती चाहता हूं। इसको मुख्यमंत्री ने भी हरी झंडी दे दी है। शीघ्र ही ईओ की भर्ती होने की उम्मीद है। इसके बाद समस्या स्वत: समाप्त हो जाएगी।
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