Wednesday, 1 January 2014

Congress has no other way to continue the support to Delhi government




[अजय पांडेय], नई दिल्ली। दिल्ली की सियासत का यह बेहद यादगार लम्हा है। बृहस्पतिवार का दिन सूबे में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी सरकार की किस्मत तय कर देगा। विपक्षी भाजपा चाहती है कि यह सरकार गिर जाए। खुद सत्ताधारी दल के हुक्मरानों को भी (आप के नेता बार-बार कांग्रेस पर आंखें तरेर रहे हैं) सरकार के गिर जाने की परवाह नहीं है। और कांग्रेस की बेबसी देखिए कि वह न चाहते हुए भी इस सरकार को एक प्रकार से अपने कंधों पर ढोने को विवश है। वह बिलकुल नहीं चाहती कि यह सरकार कम से कम इस वक्त गिरे। इस सरकार की जिंदगी वह अपने हिसाब से तय करना चाहती है।

मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली वालों को रोजाना 666 लीटर मुफ्त पानी देने का फैसला कर दिया। उन्होंने बिजली की कीमत को आधा करने का वादा भी निभा दिया। निजी बिजली कंपनियों की नाक में नकेल डालने का काम करते हुए उन्होंने इनके खातों की कैग से जांच कराने का आदेश भी जारी कर दिया। राजनीतिक फायदे नुकसान की बात करें तो उन्होंने अपना काम पूरा कर लिया है। उनका यह अनुमान बिलकुल सही लगता है कि यदि अगले कुछ महीनों में दिल्ली विधानसभा के फिर से चुनाव हुए तो उनकी पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त हो जाएगा।

दूसरी ओर सत्ता से चार कदम पीछे रह गई भाजपा भी चुनाव चाहती है। यदि यह सरकार गिर जाती है तो सियासी दृष्टि से भाजपा के रणनीतिकारों का खुश होना लाजिमी है। पार्टी की सोच यह है कि यदि सरकार गिर गई और चुनाव की नौबत आई तो थोड़े दिनों के राष्ट्रपति शासन के बाद लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा के भी चुनाव होंगे और पार्टी अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की लहर में दिल्ली का चुनाव भी जीत लेगी।

सियासी जानकारों की मानें तो एकमात्र कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जो कम से कम इस माहौल में चुनाव बिल्कुल नहीं चाहती। पार्टी के एक विधायक ने कहा कि इस वक्त हमने ऐसा क्या कर दिया है जिसे लेकर हम जनता के बीच जाएंगे। जाहिर है कि 15 साल की अपनी सत्ता गंवा चुकी पार्टी को फिलहाल चुनाव भारी घाटे का सौदा समझ में आ रहा है। शायद यही वजह है कि वह किसी भी कीमत पर अगले कुछ महीनों तक इस लंगड़ी सरकार की बैसाखी बने रहना चाहती है।

कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि जून-जुलाई की गर्मियों में पानी-बिजली को लेकर मचने वाला हाहाकार केजरीवाल की लोकप्रियता की हवा निकाल देगा और तब हवा कांग्रेस के पक्ष में बहने लगेगी। उस समय न मोदी की लहर का खतरा होगा और न ही केजरीवाल का जादू काम करेगा। अब देखना यह है कि बृहस्पतिवार को सदन में किसकी किस्मत बुलंद होती है।

Read more : News In Hindi

No comments:

Post a Comment