महा शिवरात्रि के मौके पर बाबा भोले की नगरी जय शिव के उद्घोष से गुंजायमान हो गया। इस दौरान देश के कोने-कोने से आए एक लाख से अधिक शिव भक्तों ने मंदिर में जलार्पण किया। भक्तों की कतार फुटओवर ब्रिज, मानसरोवर, बीएन झा पथ होने हुए बाई पास तक पहुंच गई। हालांकि सभी को कतारबद्ध तरीके से पूजा कराया गया। जलार्पण रात 9:30 बजे तक चलता रहा। रात 10:30 बजे से चौथे पहर की पूजा प्रारंभ की गई। मंदिर में पूजा के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए थे।
उपायुक्त अमित कुमार व एसपी प्रभात कुमार पूरी व्यवस्था पर पैनी नजर रखे हुए थे। स्थानीय लोगों को पूजा कराने की भी कुछ व्यवस्था की गई थी। मंदिर में भोले शिव व माता पार्वती के विवाह को लेकर रातभर भजन-कीर्तन चलता रहा।
शिवरात्रि के मौके पर हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बाबा भोले की अनोखी बरात निकली। शाम करीब 7:30 बजे बरात नगर स्टेडियम से निकली। हालांकि बरात की एक झलक पाने के लिए लोग दिन से ही अपनी-अपनी जगह सुरक्षित करने में जुट गए थे। सड़क किनारे लोग कतार में खड़े थे। इस दौरान सड़क पर दो लाख से अधिक शिव भक्तों की भीड़ लगी हुई थी। दूरदराज के गांव व दूसरे प्रदेश से भारी संख्या में लोग बरात की एक झलक पाने के लिए बाबाधाम पहुंचे। शिव की इस बरात में बसहा पर सवार शिव जी के अलावा विभिन्न देवता के रूप धरे भक्तों को देख ऐसा लगा मानो आज शिव लोक बाबा भोले की धरती पर उतर आया हो। बरात में भूत-पिशाच, नर कंकाल, साधू-महात्मा, भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। इसके अलावा छऊ नृत्य, डीजे, बैंड, गेट बत्ती, घोड़ा व उंट भी बरात में शामिल था।
कोका दैत्य बना आकर्षण का केंद्र-इस बार शिव बरात में 25 फीट उंचा व 8 फीट चौड़ा कोका दैत्य सभी के आकर्षण का मुख्य केन्द्र था। इसके अलावा पंचमुखी कालिया नाग भी सभी की नजरों पर था। आम लोगों को मतदान के लिए जागरूक करने के लिए भी एक झांकी को बरात में शामिल किया गया था। 20 पहलवानों ने शारीरिक सौष्ठव का प्रदर्शन किया। बरात नगर स्टेडियम से निकली व मुख्य मार्ग होते हुए टावर चौक पहुंची, यहां से बाजार होते हुए विभिन्न मागरे से गुजरते हुए बाबा मंदिर पहुंची। चहुंओर लाइट की चकाचौंध-भोले की शादी के मौके पर बाबा की धरती को लाइट से दुल्हन की तरह सजाया गया था। बंगाल के चंदन नगर के कलाकारों ने लाइट का ऐसा इंतजाम किया था कि जो भी इसे देखा बस देखता ही रह गया। एफिल टावर, संसद भवन, मंदिर, चर्च, मस्जिद, आदि को दर्शाया गया था। लोग इन लाइट की सजावट को देखने के लिए अनायास ही रुक गये।
बरात का जगह-जगह स्वागत-शिव बरात का जगह-जगह रास्ते में भव्य स्वागत किया गया। फल, शर्बत, पानी, ठंडई, सूखे मेवे, मिठाई आदि का इंतजाम किया गया था। आम लोग व विभिन्न सामाजिक संगठन शिव के बरात की स्वागत में जुटे थे। इसमें महिलाएं, बच्चे व बुजुर्ग भी शामिल थे। कई जगह बरात पर फूलों की बरसात की गई।
कार्यकर्ताओं का अथक प्रयास-इस बरात के सफल आयोजन में मेयर सह महाशिवरात्रि महोत्सव समिति के अध्यक्ष राजनारायण खवाड़े व उनकी टीम का अथक प्रयास शामिल है। इस टीम समाज के हर वर्ग के लोग शामिल है। 1994 से हर वर्ष आयोजित ये अनोखी शिव बरात सामाजिक समरसता का अद्भुत मिसाल बन गयी है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम- इस मौके पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। बरात के रूट पर जगह-जगह पर लाठी पार्टी व सशस्त्र बल तैनात किया गया था। सादे लिबास में भी पुलिस वाले हर गतिविधि पर नजर रखे हुए थे। इसके अलावा गश्ती दल भी अपना काम कर रही थी। बरात के रूट को दोपहर से ही सील कर दिया गया था। जगह-जगह बैरिकेड लगा दिया गया था और वहां पुलिस वाले मुस्तैद थे। वाहन के रूट में परिवर्तन कर दिया गया था।
भांग-फलाहारी जलेबी का लिया आनंद- शिव की शादी हो और लोग भांग न खाएं ये कैसे हो सकता है। आज भांग की काफी डिमांड देखी गई। लोग इस वक्त का भरपूर आनंद उठाना चाहते थे और वे भंग के रंग में डूब गए। इसके अलावा हर इलाके में सड़क किनारे फलाहारी जलेबी व मिठाई भी खूब बिकी।
उपायुक्त अमित कुमार व एसपी प्रभात कुमार पूरी व्यवस्था पर पैनी नजर रखे हुए थे। स्थानीय लोगों को पूजा कराने की भी कुछ व्यवस्था की गई थी। मंदिर में भोले शिव व माता पार्वती के विवाह को लेकर रातभर भजन-कीर्तन चलता रहा।
शिवरात्रि के मौके पर हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बाबा भोले की अनोखी बरात निकली। शाम करीब 7:30 बजे बरात नगर स्टेडियम से निकली। हालांकि बरात की एक झलक पाने के लिए लोग दिन से ही अपनी-अपनी जगह सुरक्षित करने में जुट गए थे। सड़क किनारे लोग कतार में खड़े थे। इस दौरान सड़क पर दो लाख से अधिक शिव भक्तों की भीड़ लगी हुई थी। दूरदराज के गांव व दूसरे प्रदेश से भारी संख्या में लोग बरात की एक झलक पाने के लिए बाबाधाम पहुंचे। शिव की इस बरात में बसहा पर सवार शिव जी के अलावा विभिन्न देवता के रूप धरे भक्तों को देख ऐसा लगा मानो आज शिव लोक बाबा भोले की धरती पर उतर आया हो। बरात में भूत-पिशाच, नर कंकाल, साधू-महात्मा, भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। इसके अलावा छऊ नृत्य, डीजे, बैंड, गेट बत्ती, घोड़ा व उंट भी बरात में शामिल था।
कोका दैत्य बना आकर्षण का केंद्र-इस बार शिव बरात में 25 फीट उंचा व 8 फीट चौड़ा कोका दैत्य सभी के आकर्षण का मुख्य केन्द्र था। इसके अलावा पंचमुखी कालिया नाग भी सभी की नजरों पर था। आम लोगों को मतदान के लिए जागरूक करने के लिए भी एक झांकी को बरात में शामिल किया गया था। 20 पहलवानों ने शारीरिक सौष्ठव का प्रदर्शन किया। बरात नगर स्टेडियम से निकली व मुख्य मार्ग होते हुए टावर चौक पहुंची, यहां से बाजार होते हुए विभिन्न मागरे से गुजरते हुए बाबा मंदिर पहुंची। चहुंओर लाइट की चकाचौंध-भोले की शादी के मौके पर बाबा की धरती को लाइट से दुल्हन की तरह सजाया गया था। बंगाल के चंदन नगर के कलाकारों ने लाइट का ऐसा इंतजाम किया था कि जो भी इसे देखा बस देखता ही रह गया। एफिल टावर, संसद भवन, मंदिर, चर्च, मस्जिद, आदि को दर्शाया गया था। लोग इन लाइट की सजावट को देखने के लिए अनायास ही रुक गये।
बरात का जगह-जगह स्वागत-शिव बरात का जगह-जगह रास्ते में भव्य स्वागत किया गया। फल, शर्बत, पानी, ठंडई, सूखे मेवे, मिठाई आदि का इंतजाम किया गया था। आम लोग व विभिन्न सामाजिक संगठन शिव के बरात की स्वागत में जुटे थे। इसमें महिलाएं, बच्चे व बुजुर्ग भी शामिल थे। कई जगह बरात पर फूलों की बरसात की गई।
कार्यकर्ताओं का अथक प्रयास-इस बरात के सफल आयोजन में मेयर सह महाशिवरात्रि महोत्सव समिति के अध्यक्ष राजनारायण खवाड़े व उनकी टीम का अथक प्रयास शामिल है। इस टीम समाज के हर वर्ग के लोग शामिल है। 1994 से हर वर्ष आयोजित ये अनोखी शिव बरात सामाजिक समरसता का अद्भुत मिसाल बन गयी है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम- इस मौके पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। बरात के रूट पर जगह-जगह पर लाठी पार्टी व सशस्त्र बल तैनात किया गया था। सादे लिबास में भी पुलिस वाले हर गतिविधि पर नजर रखे हुए थे। इसके अलावा गश्ती दल भी अपना काम कर रही थी। बरात के रूट को दोपहर से ही सील कर दिया गया था। जगह-जगह बैरिकेड लगा दिया गया था और वहां पुलिस वाले मुस्तैद थे। वाहन के रूट में परिवर्तन कर दिया गया था।
भांग-फलाहारी जलेबी का लिया आनंद- शिव की शादी हो और लोग भांग न खाएं ये कैसे हो सकता है। आज भांग की काफी डिमांड देखी गई। लोग इस वक्त का भरपूर आनंद उठाना चाहते थे और वे भंग के रंग में डूब गए। इसके अलावा हर इलाके में सड़क किनारे फलाहारी जलेबी व मिठाई भी खूब बिकी।
Source: Spiritual News in Hindi & Hindi Panchang
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