Monday 10 March 2014

The range of wound healing sticks fighter

राधा और कान्हा की लीला की पावन भूमि की रज भी चमत्कारिक है। बरसाने की धूल में भी मरहम है। ऐसा महरम जो सखियों की प्रेम पगी लाठियों की मार को भी पल भर में छू मंतर कर दे।

लठामार होली के घाव को भरने वाली ये रज राधा जी के चरणों की है। जिसे दुनिया भर के लोग मस्तक पर लगाकर अपने धन्य कर रहे हैं। यहां तक कि गलियों से रज समेटकर श्रद्धालु अपने घरों को ले जा रहे हैं।

ब्रह्मांचल पर्वत के शिखर पर विराजमान राधाजी सुबह से ही होली के रंगों की बौछार देख खुश हो रही थीं। राधाजी के आंगन में उठ रही राधे जू की जयघोष की गूंज से बरसाना गुंजायमान था।

सूरज ढल रहा था। मंदिर में समाज गायन के सुर थम गए और श्रद्धालुओं का रेला रंगीली गली में आ गया। हुरियारिन भी सज संवरकर आ गईं। लाठ लेकर रंगीली गली में ठाड़ी हुरियारिनों को देख नंदगांव के हुरियारों के टोल के टोल भांग की लहरों में झूमते गाते चले आ रहे थे। हुरियारिनों को देखकर वे हास परिहास करने लगे। हुरियारिन भी कम नहीं पड़ रही थी। वे भी रसिया का जवाब रसिया से दे रही थीं। तड़ातड़ चारों दिशाओं में गूंज रही थी। अगले ही पल लाठियों की चोट से हुरियारों के कसक हो गई। वे दर्द से कराहे, मगर सिर्फ कुछ देर। राधा जी के चरणों की धूल कसक पर लगाई और हो गया दर्द दूर।

ब्रजाचार्य पीठ पीठाधीश्वर गोस्वामी दीपक राज भट्ट ने बताया कि लठामार होली के साथ ही राधा जी ने यहां की धूल को लाठियों की चोट को दूर करने की दवा बना दिया था। इस धूल में चमत्कार भी है और इसका वैज्ञानिक कारण भी। सखियां अपने पांव में महावर लगती हैं। महावर में मरकरी और पोटेशियम परमैग्नेट मिला होता है। कैल्शियम के अलावा एंटी बायोटिक तत्व भी धूल में होते हैं। सखियों की महावर के कदम पड़ने से धूल हुरियारों के लिए मरहम बन रही है।

लठ्ठ मार मांगा प्रेम का नेग-

बरसाना-

नंदगांव के हुरियाराें पर लाठियां बरसाने के बाद हुरियारिनों को जैसे ही मौका मिलता, किसी न किसी की ओर उछाल देतीं लठ्ठ। दर्शक भी यहां की परंपरा और मान्यता से परिचित हैं, लिहाजा तत्काल ही जेब से निकालकर देते रुपये। बाहर के दर्शक भी देखादेखी रुपये दे देता। इस परंपरा से अनजान लोग जब पूछते, तो बता दिया जाता कि नेग है।

दरअसल, मान्यता है कि हुरियारनें जिसके सिर पर लाठी का स्पर्श करा दें, वह अत्यंत सौभाग्यशाली माना जाता है। इसलिए श्रद्धालु हुरियारिनों से सिर पर लाठी का स्पर्श कराते हैं। वे नेग में रुपए अथवा उपहार भी देते हैं। हुरियारिनों को जैसे ही कोई बुजुर्ग दिखाई देता, उनके चरण भी स्पर्श करती रहीं।

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