नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अपने कोटे के एलपीजी सिलेंडर का सोच-समझ कर इस्तेमाल करें, क्योंकि तेल कंपनियों ने गैर-सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत एकमुश्त 220 रुपये बढ़ा दी है। रसोई गैस सिलेंडर की खुदरा कीमत में यह अभी तक की सबसे बड़ी वृद्धि है। साल में सब्सिडी वाले नौ सिलेंडर के बाद ग्राहकों को 10वें के लिए अब 1241 रुपये देना पड़ेगा।
तेल कंपनियों के इस फैसले से उन जिलों के एलपीजी ग्राहकों पर तत्काल असर पड़ेगा, जहां आधार नंबर से जुड़े बैंक खातों में सीधे गैस सब्सिडी देने की डीबीटी योजना अनिवार्य कर दी गई है। केंद्र सरकार ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी स्कीम के पहले चरण में 20 जिलों में इसे अनिवार्य कर दिया है। इनमें पंजाब [नवांशहर], हिमाचल प्रदेश [बिलासपुर, हमीरपुर, मंडी व ऊना] सहित महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गोवा, मध्य प्रदेश [खंडवा व हरदा] सहित कई अन्य जिले हैं। इन जिलों के जिन एलपीजी ग्राहकों ने अभी तक डीबीटी योजना के तहत बैंक खाते को नहीं जोड़ा है, उन्हें रसोई गैस सिलेंडर के लिए ज्यादा कीमत [1241 रुपये से अधिक] देनी होगी।
पेट्रोलियम मंत्रालय भी इस मूल्य वृद्धि से चिंतित है। बुधवार यानी एक जनवरी से डीबीटी योजना को 34 और जिलों में अनिवार्य बनाया जाना था। लेकिन जैसे ही गैर सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में इतनी बड़ी वृद्धि का पता चला मंत्रालय ने अनिवार्य बनाने की योजना को टाल दिया। मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक इन 34 जिलों में सिर्फ 50 फीसद ही एलपीजी ग्राहकों ने अभी तक आधार कार्ड बनवाया है। अगर यहां अनिवार्य बनाया गया तो आधे ग्राहकों को एलपीजी सिलेंडर के लिए 450 रुपये नहीं, बल्कि 1250 रुपये देने पड़ेंगे। इनमें पंजाब के पांच और हिमाचल प्रदेश के छह जिले शामिल हैं।
सरकार ने एक एलपीजी ग्राहक को साल में सब्सिडी वाले नौ सिलेंडर देने की नीति लागू की है। देश के 289 जिलों में ग्राहकों के बैंक खाते में एलपीजी सब्सिडी ट्रांसफर करने की नीति लागू हो चुकी है। हालांकि, सिर्फ 20 जिलों में ही इसे अनिवार्य बनाया गया है। डीबीटी स्कीम के तहत अभी तक 2,000 करोड़ रुपये की नकदी ग्राहकों के बैंक खाते में डाली जा चुकी है।
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