दुनिया की सबसे लंबी (280 किमी) दुर्गम पैदल यात्रा 'श्री नंदा देवी राजजात' को सुरक्षित एवं निरापद बनाने के लिए पर्यटन विभाग ने कमर कस ली है। लगभग 280 किमी की यह यात्रा 14 अगस्त को चमोली जनपद के नौटी गांव से प्रारंभ होकर छह सितंबर को विश्राम लेगी।
12 साल के अंतराल में होने वाली इस धार्मिक यात्रा से पूरी देवभूमि की आस्था जुड़ी हुई है। बता दें कि 2013 में राजजात उत्तराखंड में आई भीषण आपदा के कारण स्थगित कर दी गई थी। इसलिए इस बार इसका महत्व और भी बढ़ गया है। उम्मीद की जा रही है कि राजजात आपदा में बुरी तरह चरमरा गई सूबे की अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी का काम करेगी। साथ ही इससे पर्यटन एवं तीर्थाटन की नई संभावनाएं भी विकसित होंगी। इन्हीं तमाम बिंदुओं को ध्यान में रखकर पर्यटन विभाग अपनी तैयारियां कर रहा है।
'श्री नंदा राजजात-2014' के लिए पर्यटन विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है। इसलिए जिम्मेदारियों का बोझ भी सबसे ज्यादा उसी पर है। उसे कार्य करने के साथ उनकी निगरानी भी रखनी है, ताकि यात्रापथ में कोई कमियां न रह जाएं। 12 साल के अंतराल में होने वाली आस्था की यह ऐसी यात्र है, जिससे संपूर्ण देवभूमि की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। ऐसे में राजजात को निर्विघ्न संपन्न कराना किसी चुनौती से कम नहीं। एक तरफ आपदा में बुरी तरह क्षतिग्रस्त यात्रापथ को व्यवस्थित करने की चुनौती है तो दूसरी तरफ देश-दुनिया के सामने खुद को साबित करने की। यही वजह है कि पर्यटन विभाग राजजात की तैयारियों को लेकर खासा संजीदा है। कुरुड़-नंदकेशरी-वाण-बेदनी झील हेरिटेज एवं इको टूरिज्म सर्किट आठ करोड़ों नौटी-कांसुवा-चांदपुर गढ़ी-सेम हेरिटेज एवं इको टूरिज्म सर्किट आठ करोडों पौड़ी-चमोली में मार्गीय सुविधाएं- आठ करोड़ यात्रा पथ की सबसे बड़ी चुनौती निर्जन पड़ावों में जरूरी सुविधाएं जुटाने की है। पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे, इसलिए इन पड़ावों में 121 अस्थाई शौचालय बनाए जाएंगे। इसके लिए जिलाधिकारी चमोली पांच निर्जन पड़ाव सुझाए हैं।
रामचंद्र भारद्वाज, संयुक्त निदेशक, पर्यटन
राज्य आकस्मिकता निधि व राज्य सेक्टर से राजजात की अवस्थापना सुविधाओं के लिए वर्ष 2012-13 में पर्यटन विभाग ने 1941.48 लाख की धनराशि अवमुक्त की। इसमें से 1698.11 लाख की धनराशि कार्यदायी संस्थाओं को आवंटित हो चुकी है, जिससे 220 कार्य होने हैं। इससे पूर्व, 2011-12 में राज्य सेक्टर से यात्रा मार्ग के सुधार के लिए वन विभाग को 83.32 लाख की धनराशि आवंटित हो चुकी है।
12 साल के अंतराल में होने वाली इस धार्मिक यात्रा से पूरी देवभूमि की आस्था जुड़ी हुई है। बता दें कि 2013 में राजजात उत्तराखंड में आई भीषण आपदा के कारण स्थगित कर दी गई थी। इसलिए इस बार इसका महत्व और भी बढ़ गया है। उम्मीद की जा रही है कि राजजात आपदा में बुरी तरह चरमरा गई सूबे की अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी का काम करेगी। साथ ही इससे पर्यटन एवं तीर्थाटन की नई संभावनाएं भी विकसित होंगी। इन्हीं तमाम बिंदुओं को ध्यान में रखकर पर्यटन विभाग अपनी तैयारियां कर रहा है।
'श्री नंदा राजजात-2014' के लिए पर्यटन विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है। इसलिए जिम्मेदारियों का बोझ भी सबसे ज्यादा उसी पर है। उसे कार्य करने के साथ उनकी निगरानी भी रखनी है, ताकि यात्रापथ में कोई कमियां न रह जाएं। 12 साल के अंतराल में होने वाली आस्था की यह ऐसी यात्र है, जिससे संपूर्ण देवभूमि की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। ऐसे में राजजात को निर्विघ्न संपन्न कराना किसी चुनौती से कम नहीं। एक तरफ आपदा में बुरी तरह क्षतिग्रस्त यात्रापथ को व्यवस्थित करने की चुनौती है तो दूसरी तरफ देश-दुनिया के सामने खुद को साबित करने की। यही वजह है कि पर्यटन विभाग राजजात की तैयारियों को लेकर खासा संजीदा है। कुरुड़-नंदकेशरी-वाण-बेदनी झील हेरिटेज एवं इको टूरिज्म सर्किट आठ करोड़ों नौटी-कांसुवा-चांदपुर गढ़ी-सेम हेरिटेज एवं इको टूरिज्म सर्किट आठ करोडों पौड़ी-चमोली में मार्गीय सुविधाएं- आठ करोड़ यात्रा पथ की सबसे बड़ी चुनौती निर्जन पड़ावों में जरूरी सुविधाएं जुटाने की है। पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे, इसलिए इन पड़ावों में 121 अस्थाई शौचालय बनाए जाएंगे। इसके लिए जिलाधिकारी चमोली पांच निर्जन पड़ाव सुझाए हैं।
रामचंद्र भारद्वाज, संयुक्त निदेशक, पर्यटन
राज्य आकस्मिकता निधि व राज्य सेक्टर से राजजात की अवस्थापना सुविधाओं के लिए वर्ष 2012-13 में पर्यटन विभाग ने 1941.48 लाख की धनराशि अवमुक्त की। इसमें से 1698.11 लाख की धनराशि कार्यदायी संस्थाओं को आवंटित हो चुकी है, जिससे 220 कार्य होने हैं। इससे पूर्व, 2011-12 में राज्य सेक्टर से यात्रा मार्ग के सुधार के लिए वन विभाग को 83.32 लाख की धनराशि आवंटित हो चुकी है।
Source: Spiritual News in Hindi & Hindi Panchang
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