होशियारपुर [हजारी लाल]। यदि हमें रिहा नहीं करवाया जा सकता तो भारत सरकार से प्रार्थना है कि वह पाकिस्तान सरकार को इतना अधिकार दे दे कि वह हमें गोली मारकर मौत के घाट उतार सके। यहां नारकीय जीवन जीने से अच्छा है कि हमें मौत ही दे दी जाए..रोंगटे खड़े कर देने वाले यह अल्फाज हैं पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बंद 11 भारतीय कैदियों के। इन कैदियों ने जेल से एक पत्र लिखकर वहां के हालात से अवगत कराया है। शुक्रवार को भाजपा सांसद अविनाश राय खन्ना ने इस पत्र को सार्वजनिक किया।
अपने पत्र में कैदियों ने भारत सरकार की भी कलई खोलने की कोशिश की है। उन्होंने लिखा-'भारत-पाकिस्तान की कॉमन ज्यूडिशियल कमेटी हमारे पास जेल में तीन बार मिलने आई। इनकी कार्यशैली से हमें पता चल चुका है कि हमारे देश की सत्ता हमारे ही नहीं, हमारे परिजनों के जीवन से भी खिलवाड़ कर रही है। भारतीय दूतावास की ओर से हमें किसी प्रकार की कोई सहायता प्रदान नहीं की जाती।' पत्र पर कैदी कुलदीप यादव, कृपाल सिंह, धर्म सिंह, मुहम्मद फरीद, तिलक राज, मकबूल लोन, अब्दुल मजीद, शंभू नाथ, सुरजा राम, महिंदर सिंह व पुनवासी के हस्ताक्षर हैं।
चिट्ठी में लिखा गया है-'क्या यह शर्मनाक नहीं है कि पंजाब के चमेल सिंह को मरने के लिए छोड़ दिया गया। किसी से पता चलने पर हमने जिस दिन यह पत्र लिखा, उसी दिन हमारे एक और साथी जाफिर की मौत हो गई। कुछ और भी मरने के कगार पर हैं, लेकिन मर नहीं पा रहे हैं। कुलदीप यादव के माता-पिता तो बेटे की प्रतीक्षा में संसार को ही अलविदा कह गए। भारत सरकार से प्रार्थना है कि कॉमन ज्यूडिशियल कमेटी को जेलों में भेजना बंद कर दे। जब इसका कोई फायदा नहीं तो दोनों देश इस कमेटी का अस्तिव समाप्त करें।' चिट्ठी में यह भी बताया गया है कि कैदी पुनवासी की सजा को समाप्त हुए तीन साल बीत चुके हैं। इसके अलावा 21 अन्य कैदी भी सजा पूरी होने के बाद रिहाई की आस देख रहे हैं। सांसद अविनाश राय खन्ना का कहना है कि वह इस गंभीर मसले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाएंगे।
Original Found Here.. http://www.jagran.com/news/national-11-indian-prisoners-in-pakistan-jail-seek-death-10649926.html
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