नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। लाल किले से 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था को नए मुकाम पर पहुंचाने का दावा किया। उसके अगले ही दिन वित्ताीय बाजारों में मचे कोहराम ने सरकार को आईना दिखा दिया। डॉलर के मुकाबले रुपया और कमजोर होकर 62 के स्तर को छू गया। शेयर बाजार में 769 अंकों की भारी गिरावट आई। शेयर निवेशकों के लिए यह काला शुक्रवार साबित हुआ। इस दिन निवेशकों के दो लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए। इसके उलट सोना 1310 रुपये महंगा होकर 31 हजार के जा पहुंचा।
रुपये की नई तलहटी व शेयर बाजार में भारी गिरावट भ्रष्टाचार समेत कई मुद्दों पर पहले से उलझी संप्रग सरकार की मुसीबत और बढ़ा सकती है। भाजपा, वाम दलों ने आर्थिक मोर्चे पर सरकार की नाकामी को लेकर हमले और तेज कर दिए हैं। इस हालात से निपटने को लेकर वित्ता मंत्रालय अब पूरी तरह से अंधेरे में है, क्योंकि रुपये को मजबूत बनाने के लिए वह अपने तरकश के अधिकांश तीर इस्तेमाल कर चुका है। वित्ता मंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को सुबह से ही अपने अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकें कर डालीं। उन्होंने प्रधानमंत्री से भी मुलाकात कर अर्थव्यवस्था के मौजूदा सूरतेहाल पर चर्चा की। बाद में चिदंबरम ने कहा कि भारतीय बाजारों को अमेरिकी आंकड़ों को लेकर ज्यादा संवेदनशील होने की आवश्यकता नहीं है। यह शांत रहने का समय है। सरकार ने प्रयास किए हैं। इसके लिए अगली तिमाही के अर्थव्यवस्था के आंकड़ों का इंतजार करना चाहिए।
वित्ता मंत्रालय ने रुपये और शेयर बाजार में ताजा गिरावट का दोष पूरी तरह से ग्लोबल हालात पर मढ़ दिया। वित्ता मंत्रालय को अब भी उम्मीद है कि रुपये की कीमत में कुछ दिनों के भीतर सुधार होगा। वैसे, माना जा रहा है कि यह गिरावट पिछले दिनों सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए कदमों की प्रतिक्रिया है। इन कदमों को उद्योग जगत में काफी नकारात्मक मान रहा है। यह धारणा बन गई है कि रुपया भले ही मजबूत न हो, लेकिन इससे पहले से सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को और नुकसान पहुंच सकता है। निवेश का माहौल चौपट होने की आशंका भी जताई जाने लगी है।
घबराहट में भारी बिकवाली
अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में कारोबार के शुरुआती घंटों में ही एक डॉलर की कीमत 62 रुपये को छूते ही शेयर बाजार में भी घबराहट फैल गई। विदेशी के साथ ही देसी निवेशकों ने भी बाजार से हाथ खींच लिए। इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों में पूंजी निकासी पर नियंत्रण की आशंका घर कर गई। इसके चलते बाजार में बिकवाली की ऐसी आंधी चली कि बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स एक समय 800 अंक नीचे आ गया। आखिर में कुछ संभलकर 769.41 अंक की गिरावट के साथ 18598.18 पर बंद हुआ। जुलाई, 2009 के बाद शेयर बाजार की यह सबसे बड़ी गिरावट है। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक निफ्टी 234.45 अंक लुढ़क 5507.85 पर आ गया।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों के बाद केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व बैंक के राहत पैकेज वापस लेने के संकेतों ने भी बाजारों पर असर डाला। अमेरिकी बांडों में ब्याज दरें बढ़ने से विदेशी निवेशक अब उभरते बाजारों से अपनी पूंजी निकाल रहे हैं। सरकार एफआइआइ की पूंजी निकासी को नियंत्रित करने के कदम उठा सकती है, इस अफवाह ने आग में घी का काम किया। दो दिन पहले ही रिजर्व बैंक ने व्यक्तिगत और कॉरपोरेट स्तर पर देश से बाहर निवेश करने या पूंजी भेजने के नियमों को काफी सख्त किया है।
खस्ताहाली की खुली पोल
शेयर बाजार के साथ ही रुपये ने अर्थव्यवस्था की बेहद खस्ताहाल स्थिति की पोल खोल दी है। रुपये को थामने की सरकार जितनी कोशिश कर रही है, वह उतना ही कमजोर हो रहा है। हालांकि कारोबार के शुरुआत में तेजी से लुढ़कने के बाद रिजर्व बैंक की सक्रियता से रुपया थोड़ा संभला। फिर भी यह 22 पैसे कमजोर हो कर 61.66 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ।
सोने ने दिखाया ताव
आसमान पर भाव
अन्य वित्ताीय बाजारों की तरह सराफा में भी उथल-पुथल दिखी। सोना एक ही दिन में 1310 रुपये प्रति दस ग्राम उछल गया। यह पिछले दो सालों की सबसे बड़ी तेजी है। इस दिन पीली धातु 31 हजार 10 प्रति दस ग्राम पर पहुंच गई। इसी तरह चांदी 3270 रुपये उछलकर 49 हजार 320 रुपये प्रति किलो हो गई।
''भारतीय बाजारों में दो दिन की गिरावट एक दिन में आ गई।''
-पी चिदंबरम, वित्ता मंत्री
''रुपये की वजह से शेयर बाजार में मंदी है और शेयर बाजार की वजह से रुपया कमजोर हो रहा है।''
-वरिष्ठ अधिकारी, वित्ता मंत्रालय
Original Found Here.. http://www.jagran.com/news/business-share-market-down-sensex-and-rupee-loss-shine-10648623.html
No comments:
Post a Comment