समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव और राज्यसभा सदस्य अमर सिंह चार साल बाद फिर करीब होते नजर आ रहे हैं। उधर सूबे के कद्दावर मंत्री आजम खां ही सरकार से रूठ गये हैं।
कभी समाजवादी पार्टी को पानी पी-पीकर कोसने वाले अमर सिंह आज छोटे लोहिया कहे जाने वाले जनेश्वर मिश्र की याद में लखनऊ में होने वाले समारोह में समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह के साथ एक मंच पर होंगे। इस कार्यक्रम के लिए खुद मुलायम सिंह यादव ने पुराने साथी रहे अमर को बुलाया है। इस मुलाकात को समाजवादी पार्टी की राजनीति में नई करवट के रूप में देखा जा रहा है।
एक समय समाजवादी पार्टी में 'की-मैन' रहे अमर सिंह को 2010 में पार्टी से बाहर कर दिया गया था, लेकिन अमर सिंह कभी भी मुलायम के खिलाफ तल्ख नहीं हुए। अलबत्ता, लोकसभा चुनाव के समय मुलायम के आजमगढ़ से चुनाव लड़ने का ऐलान करते ही अमर सिंह ने समर्थन देने का ऐलान कर सपा के साथ रिश्ते ठीक करने की राह खोली थी। अब सपा मुखिया ने जनेश्वर की जयंती पर लखनऊ में आयोजित समारोह में उन्हें आमंत्रित कर एक कदम और आगे बढ़ा दिया है।
अमर सिंह ने फोन पर 'दैनिक जागरण' से कहा 'वह मुलायमवादी रहे हैं। जनेश्वरजी के साथ काम किया है। उनके विचारों को जिया है। सिद्धांत अपनाने का प्रयास किया। अब मुलायम सिंह यादव ने जनेश्वर मिश्र पार्क के उद्घाटन के मौके पर मुझे आमंत्रित किया है। मैं इस कार्यक्रम में आऊंगा। उन्होंने फिर से सपा में शामिल होने की संभावना पर इन्कार किया। उन्होंने कहा कि लखनऊ में यह एक गैर राजनीतिक कार्यक्रम है। मैं, मुलायम के निमंत्रण पर इसमें शामिल हो रहा हूं। इसका कोई सियासी अर्थ नहीं है।' इससे इतर सूत्रों का कहना है कि बदलती सियासी परिस्थितियों में समाजवादी पार्टी को अमर सिंह के 'प्रबंधन' की जरूरत महसूस हो रही है।
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह ने रालोद के टिकट पर इस बार आगरा के फतेहपुर सीकरी से लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन जिसमें उनकी हार हुई थी। राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल इसी साल खत्म होने वाला है। माना जा रहा है कि अमर सिंह की फिर से राज्यसभा में जाने की उमंग हिलोर मार रही है। इसी कारण कुछ दिन से उन्होंने 'मुलायम चालीसा' का जाप शुरू कर दिया है। अमर सिंह ने कहा कि व्यक्ति मुलायम सिंह से मैं हमेशा से ही प्रभावित रहा हूं। व्यक्ति मुलायम सिंह से मैं कभी भी बात कर सकता हू, लेकिन हो सकता है कि राजनेता मुलायम सिंह से बात करने में मुझे दिक्कत हो।
उधर सूबे के कद्दावर मंत्री आजम खां के सरकार के प्रति मिजाज ठीक नहीं हैं। शिया धर्म गुरू मौलाना कल्बे जवाद के खिलाफ उन्होंने जंग का ऐलान कर रखा है। ऐसे में रविवार को सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की मौलाना कल्बे जवाद से मुलाकात से वो खफा हैं। कल लखनऊ में उर्दू अकादमी के एक कार्यक्रम में उन्होंने लखनऊ में रहने के बाद भी आना पसंद नहीं किया। कार्यक्रम के आयोजक भी आजम खां ही थे और यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सरकारी आवास, कालीदास मार्ग में आयोजित किया गया था।
रूठते रहे हैं आजम
अखिलेश यादव सरकार के गठन के कुछ अरसे बाद ही आजम खां न सिर्फ विवादों में रहे बल्कि उनका रूठना सार्वजनिक होने लगा था। पहले मेरठ के प्रभारी मंत्री पद से हटाए जाने पर नाराजगी सार्वजनिक की, फिर सपा आगरा कार्यकारिणी में हिस्सा न लेकर पार्टी को असहज किया। आखिर मुख्यमंत्री ने उनके घर जाकर मान-मनौव्वल की। मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद भी उन्होंने नाराजगी जाहिर की। शाही इमाम के दामाद को एमएलसी बनाये जाने पर भी वह खफा-खफा नजर आए। जाहिर नहीं हो सके कुछ मुद्दों को लेकर लंबे समय तक उन्होंने कैबिनेट की बैठकों में हिस्सा भी नहीं लिया।
कभी समाजवादी पार्टी को पानी पी-पीकर कोसने वाले अमर सिंह आज छोटे लोहिया कहे जाने वाले जनेश्वर मिश्र की याद में लखनऊ में होने वाले समारोह में समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह के साथ एक मंच पर होंगे। इस कार्यक्रम के लिए खुद मुलायम सिंह यादव ने पुराने साथी रहे अमर को बुलाया है। इस मुलाकात को समाजवादी पार्टी की राजनीति में नई करवट के रूप में देखा जा रहा है।
एक समय समाजवादी पार्टी में 'की-मैन' रहे अमर सिंह को 2010 में पार्टी से बाहर कर दिया गया था, लेकिन अमर सिंह कभी भी मुलायम के खिलाफ तल्ख नहीं हुए। अलबत्ता, लोकसभा चुनाव के समय मुलायम के आजमगढ़ से चुनाव लड़ने का ऐलान करते ही अमर सिंह ने समर्थन देने का ऐलान कर सपा के साथ रिश्ते ठीक करने की राह खोली थी। अब सपा मुखिया ने जनेश्वर की जयंती पर लखनऊ में आयोजित समारोह में उन्हें आमंत्रित कर एक कदम और आगे बढ़ा दिया है।
अमर सिंह ने फोन पर 'दैनिक जागरण' से कहा 'वह मुलायमवादी रहे हैं। जनेश्वरजी के साथ काम किया है। उनके विचारों को जिया है। सिद्धांत अपनाने का प्रयास किया। अब मुलायम सिंह यादव ने जनेश्वर मिश्र पार्क के उद्घाटन के मौके पर मुझे आमंत्रित किया है। मैं इस कार्यक्रम में आऊंगा। उन्होंने फिर से सपा में शामिल होने की संभावना पर इन्कार किया। उन्होंने कहा कि लखनऊ में यह एक गैर राजनीतिक कार्यक्रम है। मैं, मुलायम के निमंत्रण पर इसमें शामिल हो रहा हूं। इसका कोई सियासी अर्थ नहीं है।' इससे इतर सूत्रों का कहना है कि बदलती सियासी परिस्थितियों में समाजवादी पार्टी को अमर सिंह के 'प्रबंधन' की जरूरत महसूस हो रही है।
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह ने रालोद के टिकट पर इस बार आगरा के फतेहपुर सीकरी से लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन जिसमें उनकी हार हुई थी। राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल इसी साल खत्म होने वाला है। माना जा रहा है कि अमर सिंह की फिर से राज्यसभा में जाने की उमंग हिलोर मार रही है। इसी कारण कुछ दिन से उन्होंने 'मुलायम चालीसा' का जाप शुरू कर दिया है। अमर सिंह ने कहा कि व्यक्ति मुलायम सिंह से मैं हमेशा से ही प्रभावित रहा हूं। व्यक्ति मुलायम सिंह से मैं कभी भी बात कर सकता हू, लेकिन हो सकता है कि राजनेता मुलायम सिंह से बात करने में मुझे दिक्कत हो।
उधर सूबे के कद्दावर मंत्री आजम खां के सरकार के प्रति मिजाज ठीक नहीं हैं। शिया धर्म गुरू मौलाना कल्बे जवाद के खिलाफ उन्होंने जंग का ऐलान कर रखा है। ऐसे में रविवार को सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की मौलाना कल्बे जवाद से मुलाकात से वो खफा हैं। कल लखनऊ में उर्दू अकादमी के एक कार्यक्रम में उन्होंने लखनऊ में रहने के बाद भी आना पसंद नहीं किया। कार्यक्रम के आयोजक भी आजम खां ही थे और यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सरकारी आवास, कालीदास मार्ग में आयोजित किया गया था।
रूठते रहे हैं आजम
अखिलेश यादव सरकार के गठन के कुछ अरसे बाद ही आजम खां न सिर्फ विवादों में रहे बल्कि उनका रूठना सार्वजनिक होने लगा था। पहले मेरठ के प्रभारी मंत्री पद से हटाए जाने पर नाराजगी सार्वजनिक की, फिर सपा आगरा कार्यकारिणी में हिस्सा न लेकर पार्टी को असहज किया। आखिर मुख्यमंत्री ने उनके घर जाकर मान-मनौव्वल की। मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद भी उन्होंने नाराजगी जाहिर की। शाही इमाम के दामाद को एमएलसी बनाये जाने पर भी वह खफा-खफा नजर आए। जाहिर नहीं हो सके कुछ मुद्दों को लेकर लंबे समय तक उन्होंने कैबिनेट की बैठकों में हिस्सा भी नहीं लिया।
Source: Newspaper
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