पद से हटाए जाने को लेकर बनाए जा रहे दबाव के खिलाफ उत्तराखंड के राज्यपाल अजीज कुरैशी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा आज सुनवाई करेंगे। कुरैशी ने अपनी याचिका में मोदी सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद है जिस पर आसीन व्यक्ति को हटने के लिए दबाव बनाना गलत है। इसके साथ ही उन्होंने साफ कर दिया है कि वह पद नहीं छोड़ेंगे।
गौरतलब है कि मोदी सरकार के बनने के बाद पूर्व की यूपीए सरकार द्वारा नियुक्त किए गए कई राज्यपालों पर पद छोड़ने को लेकर दबाव बनाया गया था। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक केंद्रीय गृह सचिव ने खुद कई पूर्व राज्यपालों को इस बाबत फोन किया था। इस रवैये से खफा होकर ही कुरैशी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
अपनी याचिका में राज्यपाल को केवल राष्ट्रपति ही पद छोड़ने के लिए कह सकते हैं। वहीं उनकी नियुक्ति भी राष्ट्रपति की मर्जी पर ही होती है। कुरैशी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट यह पहले ही साफ कर चुका है कि राज्यपाल सरकारी कर्मचारी नहीं होता है। इससे पहले मोदी सरकार के आने के बाद से गोवा के राज्यपाल बीवी वांचू, पश्चिमी बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन, और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अपने पद से केंद्र के दबाव के चलते इस्तीफा दे चुके हैं। वहीं कमला बेनीवाल को मिजोरम की गर्वनर पद से हटाया गया था।
गौरतलब है कि मोदी सरकार के बनने के बाद पूर्व की यूपीए सरकार द्वारा नियुक्त किए गए कई राज्यपालों पर पद छोड़ने को लेकर दबाव बनाया गया था। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक केंद्रीय गृह सचिव ने खुद कई पूर्व राज्यपालों को इस बाबत फोन किया था। इस रवैये से खफा होकर ही कुरैशी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
अपनी याचिका में राज्यपाल को केवल राष्ट्रपति ही पद छोड़ने के लिए कह सकते हैं। वहीं उनकी नियुक्ति भी राष्ट्रपति की मर्जी पर ही होती है। कुरैशी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट यह पहले ही साफ कर चुका है कि राज्यपाल सरकारी कर्मचारी नहीं होता है। इससे पहले मोदी सरकार के आने के बाद से गोवा के राज्यपाल बीवी वांचू, पश्चिमी बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन, और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अपने पद से केंद्र के दबाव के चलते इस्तीफा दे चुके हैं। वहीं कमला बेनीवाल को मिजोरम की गर्वनर पद से हटाया गया था।
Source: News in Hindi & Newspaper
No comments:
Post a Comment