भाजपा के शिखर पुरुष पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया जा सकता है। उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के शीर्ष नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ इस सम्मान से नवाजे जाने की चर्चा तेज है। बहुत संभव है कि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन के दौरान इस आशय की घोषणा कर दें।
गृह मंत्रालय द्वारा सरकारी टकसाल को भारत रत्न के पांच मेडल तैयार करने के निर्देश से नेताजी के साथ वाजपेयी को भी शीर्ष सम्मान प्रदान करने संबंधी चर्चा में तेजी आई है। वाजपेयी को भारत रत्न देने की मांग भाजपा नेता पूर्व में करते रहे हैं। केंद्र में मोदी सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद से ही माना जा रहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री को शीर्ष नागरिक सम्मान से नवाजा जा सकता है।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, 'चार दिन पहले सरकारी टकसाल को भारत रत्न के पांच पदक तैयार करने का निर्देश दिया गया।' लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि पांच मेडल तैयार करने के निर्देश का यह मतलब नहीं कि इस वर्ष पांच लोगों को भारत रत्न प्रदान किया जाएगा। बाकी पदकों को रिजर्व में रखा जाएगा। भारत रत्न प्रदान करने के बारे में स्पष्ट नियम है कि एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही यह सम्मान दिया जा सकता है। इस सम्मान के लिए प्रधानमंत्री खुद राष्ट्रपति से सिफारिश करते हैं।
भारत रत्न' नहीं चाहते नेताजी के वंशज
स्वतंत्रता संग्राम के शीर्ष नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस को 'भारत रत्न' दिए जाने की अटकलों के बीच उनके परिजनों ने इसे स्वीकार करने से साफ इन्कार कर दिया है। उनका कहना है कि सबसे पहले नेताजी के गायब होने की गुत्थी सुलझाई जानी चाहिए। नेताजी के परपोते चंद्र कुमार बोस ने कहा, 'नेताजी 1945 से लापता हैं। अगर सरकार मृत बताकर उन्हें भारत रत्न दे रही है तो उसे बताना होगा कि उनकी मृत्यु कब और कहां हुई? उनकी मौत का प्रमाण क्या और कहां है?'
बोस के अनुसार 'नेताजी को सम्मानित करने का सर्वोत्तम तरीका यह है कि उनसे संबंधित गोपनीय सरकारी दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जाए। इससे उनके गायब होने के रहस्य का खुलासा हो सकता है।'
नेताजी के वंशज ने आगे कहा-'मैंने अपने खानदान के लगभग 60 लोगों से इस बारे में बातचीत की है। कोई भी सदस्य नेताजी की तरफ से ये सम्मान लेने को तैयार नहीं है। हम सभी का मानना है कि भारत रत्न उनके लिए उपयुक्त सम्मान नहीं है। हममें से कोई भी सम्मान ग्रहण करने नहीं जाएगा और इसे स्वीकार भी नहीं करेगा।' नेताजी के परिजनों एवं ओपन प्लेटफार्म फार नेताजी नामक संगठन के सदस्यों ने हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर नेताजी के रहस्यमय तरीके से गायब होने के मामले की जांच कराने का आग्रह किया था। इसके लिए उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच टीम गठित करने की मांग की थी। गौरतलब है कि इस मामले की जांच करने वाले मुखर्जी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस बात को मानने से इन्कार कर दिया था कि नेताजी की मौत 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में विमान हादसे में हुई थी।
गृह मंत्रालय द्वारा सरकारी टकसाल को भारत रत्न के पांच मेडल तैयार करने के निर्देश से नेताजी के साथ वाजपेयी को भी शीर्ष सम्मान प्रदान करने संबंधी चर्चा में तेजी आई है। वाजपेयी को भारत रत्न देने की मांग भाजपा नेता पूर्व में करते रहे हैं। केंद्र में मोदी सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद से ही माना जा रहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री को शीर्ष नागरिक सम्मान से नवाजा जा सकता है।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, 'चार दिन पहले सरकारी टकसाल को भारत रत्न के पांच पदक तैयार करने का निर्देश दिया गया।' लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि पांच मेडल तैयार करने के निर्देश का यह मतलब नहीं कि इस वर्ष पांच लोगों को भारत रत्न प्रदान किया जाएगा। बाकी पदकों को रिजर्व में रखा जाएगा। भारत रत्न प्रदान करने के बारे में स्पष्ट नियम है कि एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही यह सम्मान दिया जा सकता है। इस सम्मान के लिए प्रधानमंत्री खुद राष्ट्रपति से सिफारिश करते हैं।
भारत रत्न' नहीं चाहते नेताजी के वंशज
स्वतंत्रता संग्राम के शीर्ष नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस को 'भारत रत्न' दिए जाने की अटकलों के बीच उनके परिजनों ने इसे स्वीकार करने से साफ इन्कार कर दिया है। उनका कहना है कि सबसे पहले नेताजी के गायब होने की गुत्थी सुलझाई जानी चाहिए। नेताजी के परपोते चंद्र कुमार बोस ने कहा, 'नेताजी 1945 से लापता हैं। अगर सरकार मृत बताकर उन्हें भारत रत्न दे रही है तो उसे बताना होगा कि उनकी मृत्यु कब और कहां हुई? उनकी मौत का प्रमाण क्या और कहां है?'
बोस के अनुसार 'नेताजी को सम्मानित करने का सर्वोत्तम तरीका यह है कि उनसे संबंधित गोपनीय सरकारी दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जाए। इससे उनके गायब होने के रहस्य का खुलासा हो सकता है।'
नेताजी के वंशज ने आगे कहा-'मैंने अपने खानदान के लगभग 60 लोगों से इस बारे में बातचीत की है। कोई भी सदस्य नेताजी की तरफ से ये सम्मान लेने को तैयार नहीं है। हम सभी का मानना है कि भारत रत्न उनके लिए उपयुक्त सम्मान नहीं है। हममें से कोई भी सम्मान ग्रहण करने नहीं जाएगा और इसे स्वीकार भी नहीं करेगा।' नेताजी के परिजनों एवं ओपन प्लेटफार्म फार नेताजी नामक संगठन के सदस्यों ने हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर नेताजी के रहस्यमय तरीके से गायब होने के मामले की जांच कराने का आग्रह किया था। इसके लिए उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच टीम गठित करने की मांग की थी। गौरतलब है कि इस मामले की जांच करने वाले मुखर्जी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस बात को मानने से इन्कार कर दिया था कि नेताजी की मौत 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में विमान हादसे में हुई थी।
Source: Newspaper
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