भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने यूं तो मैनचेस्टर टेस्ट में 71 रनों की पारी खेलकर किसी तरह टीम इंडिया को 150 पार के स्कोर तक पहुंचाने में मदद की लेकिन एक अन्य मामले का जिक्र करें तो धौनी ने भारत की किरकिरी कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। क्या था ये मामला आइए जानते हैं।
दरअसल, धौनी की जिद और आईसीसी रूल्स के बारे में उनकी कम जानकारी के कारण ही जडेजा-एंडरसन मामले में भारत को विश्व क्रिकेट में शर्मसार होना पड़ा। बुधवार को एंडरसन पर फैसले के खिलाफ अपील करने की मांग को ठुकराकर आईसीसी ने बीसीसीआइ को बड़ा झटका दिया, जबकि अगर भारत ने मैदान के बाहर समझौता कर लिया होता तो एंडरसन को माफी मांगनी पड़ती और यह इस मामले में भारत की सबसे बड़ी जीत होती।
आईसीसी के न्यायिक आयुक्त गॉर्डन लिविस ने सबूतों के अभाव में जडेजा और एंडरसन दोनों को दोषमुक्त करार दिया था। इससे पहले टीम इंडिया को समझौते की पेशकश की गई थी, जिसमें एंडरसन का माफी मांगना शामिल था, हालांकि धौनी ने टीम के मैनेजर सुनील देव को इसीबी के मैनेजिंग डायरेक्टर पॉल डाउनटन से इस मामले में बातचीत करने से रोक दिया था। वहीं इसीबी अध्यक्ष जाइल्स क्लार्क ने भी आइसीसी के चैयरमैन एन श्रीनिवासन से इस मामले पर बातचीत की थी, फिर श्रीनिवासन ने धौनी से बात की, लेकिन धौनी एंडरसन पर आरोप लगाए जाने पर अड़े रहे। अहम बात ये है कि इस पूरे मामले में धौनी के पास न्यायिक आयुक्त के सामने अपनी बात साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत ही नहीं थे, इसके बावजूद उन्होंने मैच रेफरी से शिकायत करने के विकल्प को छोड़कर सीधे आइसीसी जाने का फैसला किया, जिसके चलते भारत को मुंह की खानी पड़ी।
दरअसल, धौनी की जिद और आईसीसी रूल्स के बारे में उनकी कम जानकारी के कारण ही जडेजा-एंडरसन मामले में भारत को विश्व क्रिकेट में शर्मसार होना पड़ा। बुधवार को एंडरसन पर फैसले के खिलाफ अपील करने की मांग को ठुकराकर आईसीसी ने बीसीसीआइ को बड़ा झटका दिया, जबकि अगर भारत ने मैदान के बाहर समझौता कर लिया होता तो एंडरसन को माफी मांगनी पड़ती और यह इस मामले में भारत की सबसे बड़ी जीत होती।
आईसीसी के न्यायिक आयुक्त गॉर्डन लिविस ने सबूतों के अभाव में जडेजा और एंडरसन दोनों को दोषमुक्त करार दिया था। इससे पहले टीम इंडिया को समझौते की पेशकश की गई थी, जिसमें एंडरसन का माफी मांगना शामिल था, हालांकि धौनी ने टीम के मैनेजर सुनील देव को इसीबी के मैनेजिंग डायरेक्टर पॉल डाउनटन से इस मामले में बातचीत करने से रोक दिया था। वहीं इसीबी अध्यक्ष जाइल्स क्लार्क ने भी आइसीसी के चैयरमैन एन श्रीनिवासन से इस मामले पर बातचीत की थी, फिर श्रीनिवासन ने धौनी से बात की, लेकिन धौनी एंडरसन पर आरोप लगाए जाने पर अड़े रहे। अहम बात ये है कि इस पूरे मामले में धौनी के पास न्यायिक आयुक्त के सामने अपनी बात साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत ही नहीं थे, इसके बावजूद उन्होंने मैच रेफरी से शिकायत करने के विकल्प को छोड़कर सीधे आइसीसी जाने का फैसला किया, जिसके चलते भारत को मुंह की खानी पड़ी।
Source: Newspaper
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