Wednesday, 6 August 2014

sports squash champions deepika and joshna welcomed with a dull reception 1

भारत में खेल के दीवाने बहुत हैं लेकिन शायद ये खेल भावना क्रिकेट से आगे बढ़ ही नहीं पा रही है। इसका एक नमूना देखने को मिला चेन्नई एयरपोर्ट पर जब पहली बार भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स की स्क्वॉश स्पर्धा में गोल्ड दिलाने वाली एथलीट स्वदेश लौटीं। स्क्वॉश डबल्स में भारत को गोल्ड दिलाने वाली दीपिका पाल्लीकल और जोशना चिनप्पा के साथ वापसी पर कुछ ऐसा हुआ जो शर्मनाक था।

खबरों के मुताबिक दोनों खिलाड़ी जब एयरपोर्ट से बाहर निकल रही थीं तब उनका भी दिल चाह रहा होगा कि उनका अच्छा स्वागत हो लेकिन एयरपोर्ट पर उनके स्वागत के लिए लगभग 10-12 लोग ही मौजूद थे जिसमें उनके परिजन, स्क्वॉश अकादमी के कुछ बच्चे व कोच ही शामिल थे। इसके अलावा भारतीय खेल फैंस तो दूर की बात है खेल महासंघ का कोई अधिकारी तक उनका स्वागत करने वहां नहीं पहुंचा। खबरों की मानें तो अगर इन खिलाड़ी के परिजन सही समय पर फूलों व गुलदस्तों की व्यवस्था करके ना पहुंचते तो स्थिति और भी खराब दिख सकती थी।

एक तरफ तो राज्य की मुख्यमंत्री जयललिता ने दोनों खिलाड़ियों की इस स्वर्णिम सफलता पर 50-50 लाख रुपये देने की घोषणा की वहीं इसी राज्य में इन खिलाड़ियों का स्वागत कुछ इस अंदाज में हुआ। ये वही चेन्नई है जहां आइपीएल टीम चेन्नई सुपरकिंग्स जैसी क्लब टीम की जीत पर भी गजब अंदाज में जश्न मनाया जाता है और क्रिकेटरों का बेहतरीन स्वागत होता है लेकिन जब अंतरराष्ट्रीय मंच पर किसी और खेल के हुनरमंद सफलता हासिल करके पहुंचते हैं तो नजारा ऐसा रहता है।

एक नौकरी को तरस रही है शूटर अनीसा:

ये तो सिर्फ एक किस्सा है जो अन्य खेल के हुनरमंद के साथ होता दिख रहा है लेकिन आए दिन ऐसी खबरें आती ही रहती हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में सिल्वर मेडल व पिछली बार दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 में दो गोल्ड मेडल जीतने वाली शूटर अनीसा सैयद ने कल ही इस बात का खुलासा किया था कि 2010 में किए गए वादे के बावजूद आज तक उनको नौकरी नहीं मिली है। उस एक नौकरी के लिए उन्होंने रेलवे में अपनी पुरानी नौकरी भी छोड़ दी थी व महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक नौकरी का प्रस्ताव भी ठुकरा दिया था। एक तरफ जहां हमारे क्रिकेटरों को नौकरी की जरूरत तक महसूस नहीं होती लेकिन फिर भी सबके पास नौकरी मौजूद है। वहीं दूसरी तरफ अन्य खेलों के चैंपियन जिनको जरूरत है, वो सिर्फ वादों के बीच झूल रहे हैं।

Source: Newspaper

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