मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में पदस्थ महिला अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने प्रदेश के ही एक हाईकोर्ट जज पर यौनशोषण का आरोप लगाया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के जजों और मप्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे अपने पत्र में महिला जज ने कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। अपनी लाज बचाने के लिए उक्त महिला जज को अपना पद भी छोड़ना पड़ा है।
महिला जज ने अपनी शिकायत में लिखा है कि आरोपी जज ने एक बार जिला रजिस्ट्रार के साथ संदेश भिजवाया कि उनके (आरोपी) बंगले पर होने वाले एक कार्यक्रम में आपको आइटम सांग पर डांस करना होगा। तब महिला ने अपनी बेटी का जन्मदिन होने का बहाना बनाकर पीछा छुड़ाया था।
अगले दिन जब कोर्ट में दोनों का सामना हुआ तो आरोपी जज ने टिप्पणी की कि डांस फ्लोर पर उन्हें नाचते देखने का मौका चला गया, लेकिन वे इंतजार करेंगे। महिला का आरोप है कि इस तरह कई बार उन्हें परेशान किया गया। आरोपी जज इस ताक में बैठा रहता कि महिला से कोर्ट की प्रक्रियाओं में कहीं कोई गलती हो, और वो उसका फायदा उठाने की कोशिश करें। जब कोई मौका नहीं मिलता, तो वे झल्ला जाते थे।
महिला के मुताबिक, मैं सुबह साढ़े दस के बजाए 11 बजे कोर्ट चली जाती थी। शाम को एक घंटा देरी तक रूककर काम करती थी, ताकि सामने वाले को कोई मौका न मिले, लेकिन छींटाकशी जारी रही।
तंग आकर 22 जून को महिला जज अपने पति के साथ आरोपी जज से मिलने पहु्ंच गईं। यह भी जज को आस नहीं आया। उन्होंने बात करने के बजाए दोनों को 15 दिन बाद बात करने को कहा। 15 दिन बाद महिला जज को ट्रांसफर आदेश थमा दिए गए।
पीड़िता का आरोप है कि मप्र हाईकोर्ट की ट्रांसफर नीति का उल्लंघन करते हुए उन्हें सिधी भेज दिया गया। तब उनकी बेटी 12वीं में पढ़ रही थी। बीच सत्र में ट्रांसफर होने से उसे भी परेशान होना पड़ा। आखिरकार तंग आकर महिला ने 15 जुलाई को इस्तीफा दे दिया।
यौनशोषण कमेटी की प्रमुख भी थीं
दिल्ली की अदालतों में 15 वर्ष तक कानूनी की प्रैक्टिस करने के बाद महिला ने मप्र हायर ज्यूडिशल सर्विस परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद 1 अगस्त 2011 को उनकी पोस्टिंग ग्वालियर में हुई थी।
जस्टिस डीके पालिवाल के मार्गदर्शन में ट्रैनिंग पूरी करने के बाद अक्टूबर 2012 में उनकी पदस्थापना ग्वालियर में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में कर दी गई। अप्रैल 2013 में उन्हें महिला यौनशोषण के खिलाफ बनी जिले की विशाखा कमेटी की प्रमुख भी बनाया गया था।
जनवरी 2014 में तैयार की गई सालाना गोपनीय रिपोर्ट में उनके काम की खूब तारीफ की गई। महिला जज का आरोप है कि उसी समय ग्वालियर बैंच के एक प्रशासनिक जज ने उन्हें अपने बंगले पर अकेले मिलने का दबाव बनाना शुरू कर दिया।
इन्हें भेजा है शिकायती पत्र
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया आरएम लोढ़ा, सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एचएल दत्तु, जस्टिस टीएस ठाकुर, जस्टिस अनिल दवे, जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अरुणा मिश्रा के साथ ही मप्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है
यही एक मात्र प्रोफेशन है जहां हम अपने साथियों के साथ भाई-बहन जैसा व्यवहार करते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। शिकायत मेरे पास आती है तो मैं उचित कदम उठाऊंगा। - आरएम लोढ़ा, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया
साभार - नई दुनिया
महिला जज ने अपनी शिकायत में लिखा है कि आरोपी जज ने एक बार जिला रजिस्ट्रार के साथ संदेश भिजवाया कि उनके (आरोपी) बंगले पर होने वाले एक कार्यक्रम में आपको आइटम सांग पर डांस करना होगा। तब महिला ने अपनी बेटी का जन्मदिन होने का बहाना बनाकर पीछा छुड़ाया था।
अगले दिन जब कोर्ट में दोनों का सामना हुआ तो आरोपी जज ने टिप्पणी की कि डांस फ्लोर पर उन्हें नाचते देखने का मौका चला गया, लेकिन वे इंतजार करेंगे। महिला का आरोप है कि इस तरह कई बार उन्हें परेशान किया गया। आरोपी जज इस ताक में बैठा रहता कि महिला से कोर्ट की प्रक्रियाओं में कहीं कोई गलती हो, और वो उसका फायदा उठाने की कोशिश करें। जब कोई मौका नहीं मिलता, तो वे झल्ला जाते थे।
महिला के मुताबिक, मैं सुबह साढ़े दस के बजाए 11 बजे कोर्ट चली जाती थी। शाम को एक घंटा देरी तक रूककर काम करती थी, ताकि सामने वाले को कोई मौका न मिले, लेकिन छींटाकशी जारी रही।
तंग आकर 22 जून को महिला जज अपने पति के साथ आरोपी जज से मिलने पहु्ंच गईं। यह भी जज को आस नहीं आया। उन्होंने बात करने के बजाए दोनों को 15 दिन बाद बात करने को कहा। 15 दिन बाद महिला जज को ट्रांसफर आदेश थमा दिए गए।
पीड़िता का आरोप है कि मप्र हाईकोर्ट की ट्रांसफर नीति का उल्लंघन करते हुए उन्हें सिधी भेज दिया गया। तब उनकी बेटी 12वीं में पढ़ रही थी। बीच सत्र में ट्रांसफर होने से उसे भी परेशान होना पड़ा। आखिरकार तंग आकर महिला ने 15 जुलाई को इस्तीफा दे दिया।
यौनशोषण कमेटी की प्रमुख भी थीं
दिल्ली की अदालतों में 15 वर्ष तक कानूनी की प्रैक्टिस करने के बाद महिला ने मप्र हायर ज्यूडिशल सर्विस परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद 1 अगस्त 2011 को उनकी पोस्टिंग ग्वालियर में हुई थी।
जस्टिस डीके पालिवाल के मार्गदर्शन में ट्रैनिंग पूरी करने के बाद अक्टूबर 2012 में उनकी पदस्थापना ग्वालियर में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में कर दी गई। अप्रैल 2013 में उन्हें महिला यौनशोषण के खिलाफ बनी जिले की विशाखा कमेटी की प्रमुख भी बनाया गया था।
जनवरी 2014 में तैयार की गई सालाना गोपनीय रिपोर्ट में उनके काम की खूब तारीफ की गई। महिला जज का आरोप है कि उसी समय ग्वालियर बैंच के एक प्रशासनिक जज ने उन्हें अपने बंगले पर अकेले मिलने का दबाव बनाना शुरू कर दिया।
इन्हें भेजा है शिकायती पत्र
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया आरएम लोढ़ा, सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एचएल दत्तु, जस्टिस टीएस ठाकुर, जस्टिस अनिल दवे, जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अरुणा मिश्रा के साथ ही मप्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है
यही एक मात्र प्रोफेशन है जहां हम अपने साथियों के साथ भाई-बहन जैसा व्यवहार करते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। शिकायत मेरे पास आती है तो मैं उचित कदम उठाऊंगा। - आरएम लोढ़ा, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया
साभार - नई दुनिया
Source: Newspaper
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