जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अमेरिका दौरे से कई दिन पहले ही उनकी यात्रा में प्रस्तावित नाभिकीय रिएक्टर खरीद करार विवादों में घिर गया है। आरोप लग रहे हैं कि अमेरिकी कंपनियों के लिए नाभिकीय उत्तारदायित्व कानून में रियायत के गलियारे बनाने की तैयारी है। हालांकि, परमाणु ऊर्जा विभाग ने कहा है कि इससे नाभिकीय उत्तारदायित्व समेत किसी भारतीय कानून के उल्लंघन का सवाल ही नहीं उठता। विपक्ष ने इसे मनमोहन सरकार का अमेरिका के आगे बिछने वाला कदम बताया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति का नोट सार्वजनिक होने के बाद भारत और अमेरिका के बीच नाभिकीय रिएक्टर खरीद का रास्ता खोलने वाले करार पर बवाल खड़ा हुआ। संकेत हैं कि उत्तारदायित्व कानून में विदेशी आपूर्तिकर्ता की जिम्मेदारी तय करने वाली धारा-17 में रियायत का गलियारा देने की तैयारी की जा रही है। अगले हफ्ते होने वाले प्रधानमंत्री के दौरे में नाभिकीय ऊर्जा निगम और अमेरिकी कंपनी वेस्टिंगहाउस के बीच करार की तैयारी है। शुक्रवार को होने वाली सीसीएस बैठक में इस मामले पर विचार होना था। अब यह बैठक 24 सितंबर तक टल गई है। इस बीच, प्रधानमंत्री की अगुआई वाले परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) ने कहा कि सरकार में उचित स्तर से मंजूरी के बाद प्रारंभिक करार में किसी भारतीय कानून का उल्लंघन नहीं होता है। वहीं, वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार की उत्तारदायित्व कानून के प्रावधानों में अमेरिका को रियायत देने की कोशिश चिंता का विषय है। यह अमेरिकी कंपनियों को पीएम का तोहफा है।
सार्वजनिक हुए नोट के अनुसार गुजरात के मिठीविर्डी में नाभिकीय संयंत्र के लिए एक करोड़ 51 लाख 60 हजार डॉलर की लागत से 1000 मेगावाट क्षमता के छह रिएक्टर खरीदे जाने हैं। इस नोट से पहले डीएई ने अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती से भी राय ली थी। उन्होंने कहा था कि किसी हादसे की सूरत में धारा-17 के इस्तेमाल का अधिकार ऑपरेटर (एनपीसीआइएल) के हाथ में है। वर्ष 2010 में पारित नाभिकीय उत्तारदायित्व कानून हर्जाने के लिए विदेशी आपूर्तिकर्ता की जवाबदेही भी तय करता है। गौरतलब है कि 2009 में हुए भारत-अमेरिका नाभिकीय सहयोग समझौते के बाद अब तक दोनों मुल्कों के बीच खरीद का सौदा नहीं हो सका है। अमेरिका भारत के उत्तारदायित्व कानून को अड़चन बताता रहा है।
'संसद कानून बनाती है और सरकार समेत कोई भी उससे बाहर कैसे जा सकता है। सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी जो देश के कानून से बाहर हो या देशहित में न हो।'
-सलमान खुर्शीद, विदेश मंत्री
'संप्रग सरकार अमेरिकी कंपनियों को उनकी शर्तो पर देश में नाभिकीय रिएक्टर लगाने की छूट दे रही है। सरकार परमाणु ऊर्जा आयोग को भी दरकिनार कर रही है। पीएम को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।'
-राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष
'अमेरिकी दबाव के सामने सरकार की नाभिकीय उत्तारदायित्व कानून में किसी तरह के फेरबदल की कोशिश अवैध होगी।'
-प्रकाश करात, महासचिव, माकपा
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