जम्मू [जागरण ब्यूरो]। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का कहना है कि विशेष दर्जे वाले जम्मू-कश्मीर का भारत से विलय संपूर्ण नहीं है। चार शर्तो के साथ राज्य का देश से विलय जरूर हुआ था, लेकिन अन्य प्रदेशों की तरह वह पूर्ण रूप से देश से नहीं जुड़ पाया। यही कारण है कि राज्य का अपना अलग संविधान और ध्वज है।
श्रीनगर में बुधवार को एक बैठक के दौरान यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधिमंडल में शामिल विभिन्न देशों के राजदूतों से बातचीत में उमर ने कहा कि जिन चार शर्तो पर विलय हुआ था वे मुद्रा, संचार, विदेशी मामले व सुरक्षा हैं। यूरोपियन प्रतिनिधिमंडल इन दिनों कश्मीर के हालात का जायजा लेने के लिए राज्य के दौरे पर है। उमर ने कहा राजनीतिक पृष्ठभूमि वाली समस्याओं का हल राजनीतिक फ्रेमवर्क में संभव है। पैसे से या जोर जबरदस्ती से समाधान नहीं होगा। कश्मीर समस्या वर्ष 1990 में आतंकवाद के साथ नहीं बल्कि विभाजन के समय शुरू हुई थी, जब जम्मू-कश्मीर को छोड़ अन्य सभी राज्यों का फैसला कर दिया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कश्मीर समस्या के समाधान के लिए जरूरी है कि इसके आंतरिक व बाहरी पहलुओं को देखते हुए केंद्र सरकार, अलगाववादियों व भारत-पाकिस्तान में बातचीत की प्रक्रिया शुरू हो।
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