डरबन। वनडे सीरीज में 2-0 की करारी हार और फिर जोहानिसबर्ग टेस्ट में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद मैच को ड्रॉ की तरफ ढकेलने पर मजबूर होने के बाद, अब बारी है डरबन में होने वाले दक्षिण अफ्रीका दौरे की आखिरी जंग की। गुरुवार को डरबन के किंग्समीड में टेस्ट क्रिकेट की ये दो सर्वोच्च टीमें एक बार फिर भिड़ेंगी। मेजबान टीम ने अब तक काफी कुछ हासिल किए हैं भारत के इस दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर, लेकिन सवाल ये है कि क्या भारत दक्षिण अफ्रीका से खाली हाथ लौटेगी या उसके हाथ कुछ लगेगा?
जोहानिसबर्ग टेस्ट में एक तरफ जहां भारतीय बल्लेबाजों ने टीम को मजबूती दी है, वहीं, दौरे पर पहली बार भारतीय तेज गेंदबाजों ने भी अपना जलवा दिखाया और उस नींव को और मजबूत किया। हालांकि पहले टेस्ट में जीत के करीब दिख रही टीम इंडिया को आखिरी डेढ़ दिन में डु प्लेसिस और एबी डिविलियर्स की एतिहासिक 205 रनों की साझेदारी के कारण बैकफुट पर जाना पड़ा। अंत में जीत दक्षिण अफ्रीका के करीब थी लेकिन उस दौरान भारत की शानदार फील्डिंग, गेंदबाजों के नियंत्रण और धौनी के संयम ने दक्षिण अफ्रीका को मात्र 8 रन से जीत से दूर कर दिया। दक्षिण अफ्रीका टेस्ट इतिहास में सबसे बड़ी जीत दर्ज करने से चूक गई।
अब मुकाबला है एक ऐसी पिच पर जहां भारतीय टीम ने हाल ही में वनडे सीरीज में मेजबान टीम के खिलाफ 134 रनों की करारी हार झेली है। ये वही पिच है जहां वनडे मैच में दक्षिण अफ्रीकी सलामी जोड़ी के दोनों बल्लेबाजों क्विंटन डी कॉक और हाशिम अमला ने शतक जड़े थे, और उसके बाद उनके गेंदबाजों ने टीम इंडिया को महज 35.1 ओवर में 146 रन के अंदर समेट भी डाला। फिलहाल भारत के लिए दूसरे टेस्ट में सबसे सकारात्मक पहलु होगा दक्षिण अफ्रीकी टीम में मोर्ने मॉर्कल का ना होना। गौरतलब है कि मॉर्कल को पहले टेस्ट के दौरान फील्डिंग करते समय पैर में चोट लगी थी जिसके बाद टीम मैनेजमेंट ने उन्हें सीरीज से दूर रखने का फैसला लिया। मॉर्कल के कहर के बिना दक्षिण अफ्रीका कमजोर जरूर नजर आएगी लेकिन फिर भी कैलिस की गेंदबाजी लय में लौट चुकी है और फिलेंडर व डेल स्टेन भी लगातार हुंकार भर रहे हैं।
टीम इंडिया के सामने डरबन के पिच क्यूरेटर विल्सन गोब्से ने पहले ही यह कहकर चुनौती पेश कर दी है कि इस पिच पर उछाल अच्छा खासा होगा, यानी एक बार फिर दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाज बाउंस का इस्तेमाल करने से नहीं चूकेंगे, ऐसे में भारतीय गेंदबाजों को भी इन हालातों का फायदा उठाना होगा जबकि सभी भारतीय बल्लेबाजों को पुजारा और विराट कोहली से सीख लेनी होगी कि बाउंस का तोड़ कैसे निकाला जाए क्योंकि जोहानिसबर्ग में इन्हीं दोनों बल्लेबाजों ने दक्षिण अफ्रीकी पेस अटैक को करारा जवाब दिया था। आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो इस मैदान पर मेजबान टीम ने छह साल पहले टेस्ट मैच जीता था और उसके बाद से वो यहां असफल ही दिखे। वेस्टइंडीज के खिलाफ 2008 में डरबन में मिली जीत उनके लिए यहां कि आखिरी जीत थी, उसके बाद से वो यहां चार मैच गंवा चुके हैं और दिलचस्प चीज ये है कि इस पिच पर तेज गेंदबाजों को तो मदद मिलती है लेकिन स्पिनर इतिहास में यहां कई सफल कहानियां लिख चुके हैं जो बात भारत के पक्ष में जा सकती है।
Source : Cricket News in Hindi
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