Wednesday, 18 September 2013

News in Hindi: Fund houses sit tight ahead of US Fed meet, RBI policy review


Fund houses

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के संभावित कदमों से निपटने के लिए वित्त मंत्रालय व रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने भी अपनी कमर कस ली है। अगर फेड रिजर्व की तरफ से गुरुवार सुबह अपनी वित्तीय प्रोत्साहन नीतियों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है तो इससे भारतीय वित्तीय बाजार को बचाने के लिए आरबीआइ शुक्रवार को कुछ बड़े एलान कर सकता है। जानकारों का कहना है कि शुक्रवार को पेश होने वाली आरबीआइ मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा का तेवर बहुत हद तक फेडरल रिजर्व की घोषणाओं के आधार पर ही तय होगा। वैसे, देर रात सामने आए फेड के फैसले में प्रोत्साहन पैकेज को जस का तस बनाए रखा गया है।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक दो दिन पहले मंगलवार को वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन व उनके सहयोगियों के बीच चली बैठक में फेड रिजर्व के संभावित कदमों की काट खोजने पर लंबी चर्चा हुई थी। अगर फेडरल रिजर्व के चेयरमैन बेन बर्नान्के ने वित्तीय प्रोत्साहनों को तेजी से वापस लेने का कोई एलान किया तो इससे भारतीय रुपये में फिर से नई गिरावट की आशंका थी। पिछले महीने अगस्त में भी ऐसा ही हुआ था। ऐसे में रुपये को मजबूत देने के लिए बाहर से डॉलर लाने संबंधी कुछ अहम फैसलों को रिजर्व बैंक आगामी शुक्रवार को अमली जामा पहनाने का एलान कर सकता है। भारतीय बैंकों व सरकारी उपक्रमों (पीएसयू) को आसानी से बाहर से डॉलर लाने संबंधी कुछ घोषणाओं को लागू करने में भी जल्दबाजी दिखाई जा सकती है।

माना जा रहा था कि फेडरल रिजर्व अगर वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज की बांड खरीद योजना को वापस लेता है तो भारत जैसे विकासशील देशों से पैसा बाहर निकालने की प्रक्रिया तेज हो जाएगी। इस योजना के तहत अमेरिकी केंद्रीय बैंक बांड खरीदकर बाजार में सस्ते डॉलर छोड़ता है। हाल के दिनों में रुपये की कमजोरी के पीछे इसे एक अहम वजह माना जाता है। बाजार के जानकारों के मुताबिक सिर्फ मुद्रा बाजार में ही नहीं, बल्कि फेड रिजर्व का कदम बांड, म्युचुअल फंड व इक्विटी बाजार पर भी गहरा असर डालेगा। 

उद्योग जगत भी आरबीआइ के समक्ष उत्पन्न इस मुश्किल चुनौती को समझ रहा है। बुधवार को देश के प्रमुख उद्योग चैंबरों ने आरबीआइ से आग्रह किया है कि वह इस बार परंपरा से अलग हट कर सोचे और कदम उठाए। फिक्की के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला का कहना है कि हालात चाहे जो हों, आरबीआइ गवर्नर को इस बार सभी वर्गो को सकारात्मक संकेत देना चाहिए। एसोचैम के अध्यक्ष राणा कपूर का साफ कहना है कि ब्याज दरों में कटौती करके ही मंदी से उबरने के लिए सबसे बड़ा प्रोत्साहन दिया जा सकता है।

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