Tuesday, 3 September 2013

Landmark Food Security Bill gets Parliament nod


telengana

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संप्रग सरकार के लिए चुनाव जिताऊ दांव बताए जा रहे खाद्य सुरक्षा विधेयक पर संसद की मुहर लग गई। लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी सोमवार को इसे पारित कर दिया। राज्यसभा से इसके पारित होने के बाद देश की साठ फीसद से अधिक आबादी को सस्ता अनाज मुहैया कर भूख से निजात दिलाने की इस कोशिश को अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने भर की देर है। 

विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने यह भी स्पष्ट किया कि खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद यदि इससे बेहतर योजनाएं राज्यों में हैं तो वे भी लागू रहेंगी। विधेयक के प्रावधान राज्यों में मौजूद सस्ता अनाज उपलब्ध कराने की योजनाओं को सुरक्षित रखते हैं। नेता विपक्ष अरुण जेटली ने इस बारे में उनसे स्पष्टीकरण मांगा था। जेटली के एक अन्य सवाल पर थॉमस ने कहा कि राष्ट्रीय सैंपल सर्वे संगठन के सर्वेक्षण के आधार पर नए कानून का दायरा ग्रामीण क्षेत्र में 75 फीसद और शहरी क्षेत्र में 50 फीसद तक रखने का फैसला किया गया है। 

खाद्य मंत्री ने विपक्ष की उन आलोचनाओं को खारिज कर दिया कि सरकार ने जल्दबाजी में इसे पेश किया है। उनका कहना था कि विधेयक को उनके मंत्रालय ने सभी राज्यों से पर्याप्त मशविरे के बाद पेश किया है। वामपंथी सांसदों की ओर से खाद्यान्न सुरक्षा को सभी के लिए लागू करने की मांग का जवाब देते हुए खाद्य मंत्री ने कहा, सरकार कुल खाद्यान्न उत्पादन का 30 फीसद खरीद रही है। ऐसे में मौजूदा क्षमताओं का आकलन करने के बाद ही सीमाओं को तय किया गया है। गौरतलब है कि खाद्य सुरक्षा विधेयक के तहत देश की करीब 67 प्रतिशत आबादी को दो रुपये किलो गेहूं और तीन रुपये किलो चावल दिया जाना है। विधेयक को लोकसभा की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है। 

इससे पहले विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के एम वेंकैया नायडू ने पूछा कि सरकार खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने तो जा रही है, लेकिन खेती को बचाने और किसानों के हितों के लिए वह क्या उपाय कर रही है? खाद्य सुरक्षा के लिए 35 करोड़ टन खाद्यान्न की जरूरत होगी, यदि उतना नहीं हुआ तो क्या सरकार उसके लिए भी आयात करेगी। उन्होंने यह भी पूछा कि खराब अर्थ व्यवस्था में वह सब्सिडी के लिए धन कहां से जुटाएगी?

बसपा प्रमुख मायावती ने विधेयक का समर्थन तो किया, लेकिन यह भी कहा कि सरकार इसे लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर आई है। उसे मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाकर उन्हें भी विश्वास में लेना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने खाद्य सुरक्षा के तहत चावल, गेहूं के अलावा दाल, मोटा अनाज, खाद्य तेल भी दिए जाने की पैरवी की।
सपा के नरेश अग्रवाल ने विधेयक का समर्थन करने के साथ यह भी जोड़ा कि यह खाद्य सुरक्षा नहीं, बल्कि 'वोट विधेयक' है। इससे गरीबों को कोई फायदा नहीं होगा। विधेयक लाने से पहले केंद्र को इस पर राज्यों से विस्तृत विचार-विमर्श करना चाहिए था। माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि यदि सरकार वाकई लोगों को खाद्य सुरक्षा पर गंभीर है तो उसे इसमें पूरे देश को शामिल करना चाहिए। जो राज्य सरकारें केंद्र की इस योजना से भी कम मूल्य में खाद्यान्न उपलब्ध करा रही हैं, उनकी योजनाओं को रोका नहीं जाना चाहिए। जदयू के वशिष्ट नारायण सिंह ने कहा कि खाद्य सुरक्षा का पूरा खर्च केंद्र को उठाना चाहिए क्योंकि बिहार जैसा राज्य इसके लिए अलग से धन खर्च करने की स्थिति में नहीं है।

Original Found Here... http://www.jagran.com/news/national-landmark-food-security-bill-gets-parliament-nod-10692411.html

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