अब एक सामान्य ब्लड टेस्ट से यह पता लगाया जा सकेगा कि उस व्यक्ति में आत्महत्या की प्रवृत्ति तो नहीं है। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि मनुष्य के जीन में रासायनिक बदलाव का संबंध तनाव से है।
जीन में बदलाव इस बात के लिए जिम्मेदार होते हैं कि हमारा दिमाग तनाव के प्रति किस तरह की प्रतिक्रिया देगा। इस तनाव का असर व्यक्ति की रोजमर्रा की जिंदगी और उसके दिमाग में आने वाले सकारात्मक व नकारात्मक विचारों पर पड़ता है।
शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने एसकेए2 नाम के एक जीन में होने वाले परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया। ब्रेन सैंपल्स के आधार पर उन्होंने पाया कि जिन लोगों ने आगे चलकर आत्महत्या की, उनमें एसकेए2 का स्तर कम पाया गया। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर और शोध के लीडर जे कमिंसके के मुताबिक, अब हम जल्द ही ब्लड टेस्ट से किसी व्यक्ति में आत्महत्या के लक्षणों को बता पाने में सक्षम होंगे।
जीन में बदलाव इस बात के लिए जिम्मेदार होते हैं कि हमारा दिमाग तनाव के प्रति किस तरह की प्रतिक्रिया देगा। इस तनाव का असर व्यक्ति की रोजमर्रा की जिंदगी और उसके दिमाग में आने वाले सकारात्मक व नकारात्मक विचारों पर पड़ता है।
शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने एसकेए2 नाम के एक जीन में होने वाले परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया। ब्रेन सैंपल्स के आधार पर उन्होंने पाया कि जिन लोगों ने आगे चलकर आत्महत्या की, उनमें एसकेए2 का स्तर कम पाया गया। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर और शोध के लीडर जे कमिंसके के मुताबिक, अब हम जल्द ही ब्लड टेस्ट से किसी व्यक्ति में आत्महत्या के लक्षणों को बता पाने में सक्षम होंगे।
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