दंगे में सिपाही को थाने के अंदर 315 बोर की गोली मारी गई। जिन हथियारों से फायरिंग की गई, उनमें 12 से 315 बोर के तमंचे और 32 बोर के पिस्टल खुल कर प्रयोग किए गए। दंगाइयों के हाथों में एक साथ बड़ी संख्या में हथियार कहां से आए? पुलिस और प्रशासनिक मशीनरी भी इसे लेकर हैरत में है।
सवाल यह है कि इतनी बड़ी संख्या में हथियार बाहर से तस्करी कर लाए गए या जनपद में ही असलाह की फैक्ट्री चलाई जा रही हैं? यदि पहले से ही इस पर अंकुश लगाया जाता तो बेखौफ दंगाई पुलिस नहीं टूट पड़ते। माना जा रहा है कि पास के राज्य हरियाणा से लेकर बिहार के मुंगेर तक के हथियारों की सप्लाई जनपद में की जाती है। मंडी थाना क्षेत्र के कुछ मोहल्लों में तो घर के अंदर ही हथियार बनाने के कारखाने हैं। पुलिस अवैध असलाह के खिलाफ अभियान भी चलाती है तो लोगों को पकड़ कर दफा 25 में जेल भेज दिया जाता है, जो एक से दो दिनों में जमानत पाने के बाद दोबारा से इस काम में जुट जाते है। दंगे के समय में सरकारी मशीनरी को ऐसे सौदागरों की याद आई है, क्योंकि फसाद में बड़े पैमाने पर अवैध असलाह इस्तेमाल किए गए हैं। यदि दंगाइयों के हाथों में हथियार नहीं होते तो वह खुलेआम दुकानों को जलाने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाते।
डीआइजी एटीएस दीपक रतन का कहना है कि ऐसे हथियारों को भी चिन्हित किया जा रहा है। सिपाही के अलावा बाकी लोगों को मारी गई गोली में किस प्रकार के हथियार का प्रयोग हुआ है। उनकी मेडिकल रिपोर्ट को एकत्र कर कार्रवाई की जाएगी। आइजी मेरठ आलोक शर्मा का कहना है कि दंगों में अवैध असलाह के प्रयोग के बारे में एसएसपी सहारनपुर से रिपोर्ट मांगी जाएगी। किन थाना क्षेत्रों के लोगों ने अवैध असलाह का प्रयोग किया, उन क्षेत्रों में पड़ताल कराई जाएगी कि असलाह कहां से आया है? ताकि आगे भविष्य में इस प्रकार की वारदात न हो।
सवाल यह है कि इतनी बड़ी संख्या में हथियार बाहर से तस्करी कर लाए गए या जनपद में ही असलाह की फैक्ट्री चलाई जा रही हैं? यदि पहले से ही इस पर अंकुश लगाया जाता तो बेखौफ दंगाई पुलिस नहीं टूट पड़ते। माना जा रहा है कि पास के राज्य हरियाणा से लेकर बिहार के मुंगेर तक के हथियारों की सप्लाई जनपद में की जाती है। मंडी थाना क्षेत्र के कुछ मोहल्लों में तो घर के अंदर ही हथियार बनाने के कारखाने हैं। पुलिस अवैध असलाह के खिलाफ अभियान भी चलाती है तो लोगों को पकड़ कर दफा 25 में जेल भेज दिया जाता है, जो एक से दो दिनों में जमानत पाने के बाद दोबारा से इस काम में जुट जाते है। दंगे के समय में सरकारी मशीनरी को ऐसे सौदागरों की याद आई है, क्योंकि फसाद में बड़े पैमाने पर अवैध असलाह इस्तेमाल किए गए हैं। यदि दंगाइयों के हाथों में हथियार नहीं होते तो वह खुलेआम दुकानों को जलाने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाते।
डीआइजी एटीएस दीपक रतन का कहना है कि ऐसे हथियारों को भी चिन्हित किया जा रहा है। सिपाही के अलावा बाकी लोगों को मारी गई गोली में किस प्रकार के हथियार का प्रयोग हुआ है। उनकी मेडिकल रिपोर्ट को एकत्र कर कार्रवाई की जाएगी। आइजी मेरठ आलोक शर्मा का कहना है कि दंगों में अवैध असलाह के प्रयोग के बारे में एसएसपी सहारनपुर से रिपोर्ट मांगी जाएगी। किन थाना क्षेत्रों के लोगों ने अवैध असलाह का प्रयोग किया, उन क्षेत्रों में पड़ताल कराई जाएगी कि असलाह कहां से आया है? ताकि आगे भविष्य में इस प्रकार की वारदात न हो।
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