लंदन के रायल कालेज ऑफ आर्ट्स के एक स्नातक ने इंसान को अंतरिक्ष में बसने का रास्ता दिखा दिया है। जुलियन मेलकियोरी ने पौधे की कोशिका में पाए जाने वाले क्लोरोप्लास्ट से विशाल आकार की पत्ती का सृजन किया है।
इन पत्तियों को सिल्क प्रोटीन के संजाल से बांधा या गुथा गया है। लेकिन ये प्रकाश संष्लेषण की प्रक्रिया में वातावरण में ऑक्सीजन छोड़ती हैं। कृत्रिम रूप से बनाई गई ये पत्तियां एकदम प्राकृतिक पौधे या पत्ती की ही तरह जीवित है। ये पत्तियों की ही तरह सांस लेती है और प्राणवायु देती हैं।
जुलियन मेलकियोरी का दावा है कि उन्होंने पहला फोटोसिंथेटिक पदार्थ तैयार किया है जो सामान्य पौधों की ही तरह वातावरण में ऑक्सीजन छोड़ता है।
अंतरिक्ष में इंसान को लंबे समय तक आक्सीजन मुहैया कराने का ये अहम स्त्रोत बन सकता है। इतना ही इसके बल पर वैज्ञानिक अन्य ग्रहों पर मानव बस्ती बसाने के दूरगामी सपनों को भी साकार कर सकते हैं। कला स्नातक ने कृत्रिम तरीके से जैविक पत्ती तैयार की है। ये जैविक पत्ती असली हरी पत्तियों की ही तरह जल और कार्बनडाइआक्साइड का अवशोषण करके वातावरण में ऑक्सीजन को छोड़ती है।
जुलियन का ये भी दावा है कि केवल अंतरिक्ष ही नहीं बल्कि वायु प्रदूषण के शिकार महानगरों में घरों और अत्यधिक प्रदूषित इलाकों में भी इसका उपयोग कर लोगों को स्वच्छ वातावरण मुहैया कराया जा सकता है। उनका कहना है कि इस पदार्थ का इस्तेमाल अंतरिक्ष में जाने से लेकर नए जमाने के घर बनाने तक में किया जा सकता है।
जुलियन मेलकियोरी ने बताया कि अभी तक लंबी दूरी की अंतरिक्ष यात्राएं इसीलिए संभव नहीं हो पाईं कि अंतरिक्ष में इतना अधिक ऑक्सीजन ले जा पाना अब तक संभव नहीं हो पाया। चूंकि शून्य गुरुत्वाकर्षण में ऑक्सीजन नहीं टिक पाता। लेकिन इन कृत्रिम जैविक पत्तियों की मदद से लंबे समय की अंतरिक्ष यात्र संभव हो सकेगी। इंसान की बनाई इन पत्तियों को प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए केवल पानी की आवश्यकता है। इन्हें घर के अंदर भी लगाया जा सकता है। बल्कि इस विलक्षण कलाकार ने इस नए फोटोसिंथेटिक पदार्थ से पहले ही घर में सजाने के लिए खूबसूरत लैंप तैयार किए हैं।
इन लैंक को जलाने से उत्पन्न गर्मी को सोखकर ये कृत्रिम जैविक पदार्थ वातावरण में ऑक्सीजन गैस छोड़ता है। ये घर को रोशन करने, सजाने के साथ-साथ शुद्ध वायु भी देता है। जुलियन का कहना है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा पहले ही इस खोज में जुटी है कि उन्हें अंतरिक्ष में ऑक्सीजन मिल जाए। ताकि लोग अंतरिक्ष में भी जी सकें। चूंकि शून्य गुरुत्वाकर्षण बल में पौधे नहीं उगते इसलिए उनका बनाया फोटोसिंथेटिक पदार्थ अंतरिक्ष में मानव जीवन के लिए वरदान साबित होगा।
जुलियन मेलकियोरी ने लंदन आरसीए इनोवेशन डिजाइन का इंजीनियरिंग कोर्स किया है। उन्होंने अपने इंसान का उपयोग अमेरिका की मैसाचुएट्स स्थित टर्फ यूनिवर्सिटी के सिल्क लैब में किया। उन्होंने वहीं अपने इस नए पदार्थ को इजाद किया। प्लांट सेल के क्लोरोप्लास्ट से बने इस पदार्थ को सिल्क प्रोटीन के तंतु में बांधा गया है। इस प्रोटीन को रेशम के स्वाभाविक तंतु से निकाला गया है।
इन पत्तियों को सिल्क प्रोटीन के संजाल से बांधा या गुथा गया है। लेकिन ये प्रकाश संष्लेषण की प्रक्रिया में वातावरण में ऑक्सीजन छोड़ती हैं। कृत्रिम रूप से बनाई गई ये पत्तियां एकदम प्राकृतिक पौधे या पत्ती की ही तरह जीवित है। ये पत्तियों की ही तरह सांस लेती है और प्राणवायु देती हैं।
जुलियन मेलकियोरी का दावा है कि उन्होंने पहला फोटोसिंथेटिक पदार्थ तैयार किया है जो सामान्य पौधों की ही तरह वातावरण में ऑक्सीजन छोड़ता है।
अंतरिक्ष में इंसान को लंबे समय तक आक्सीजन मुहैया कराने का ये अहम स्त्रोत बन सकता है। इतना ही इसके बल पर वैज्ञानिक अन्य ग्रहों पर मानव बस्ती बसाने के दूरगामी सपनों को भी साकार कर सकते हैं। कला स्नातक ने कृत्रिम तरीके से जैविक पत्ती तैयार की है। ये जैविक पत्ती असली हरी पत्तियों की ही तरह जल और कार्बनडाइआक्साइड का अवशोषण करके वातावरण में ऑक्सीजन को छोड़ती है।
जुलियन का ये भी दावा है कि केवल अंतरिक्ष ही नहीं बल्कि वायु प्रदूषण के शिकार महानगरों में घरों और अत्यधिक प्रदूषित इलाकों में भी इसका उपयोग कर लोगों को स्वच्छ वातावरण मुहैया कराया जा सकता है। उनका कहना है कि इस पदार्थ का इस्तेमाल अंतरिक्ष में जाने से लेकर नए जमाने के घर बनाने तक में किया जा सकता है।
जुलियन मेलकियोरी ने बताया कि अभी तक लंबी दूरी की अंतरिक्ष यात्राएं इसीलिए संभव नहीं हो पाईं कि अंतरिक्ष में इतना अधिक ऑक्सीजन ले जा पाना अब तक संभव नहीं हो पाया। चूंकि शून्य गुरुत्वाकर्षण में ऑक्सीजन नहीं टिक पाता। लेकिन इन कृत्रिम जैविक पत्तियों की मदद से लंबे समय की अंतरिक्ष यात्र संभव हो सकेगी। इंसान की बनाई इन पत्तियों को प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए केवल पानी की आवश्यकता है। इन्हें घर के अंदर भी लगाया जा सकता है। बल्कि इस विलक्षण कलाकार ने इस नए फोटोसिंथेटिक पदार्थ से पहले ही घर में सजाने के लिए खूबसूरत लैंप तैयार किए हैं।
इन लैंक को जलाने से उत्पन्न गर्मी को सोखकर ये कृत्रिम जैविक पदार्थ वातावरण में ऑक्सीजन गैस छोड़ता है। ये घर को रोशन करने, सजाने के साथ-साथ शुद्ध वायु भी देता है। जुलियन का कहना है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा पहले ही इस खोज में जुटी है कि उन्हें अंतरिक्ष में ऑक्सीजन मिल जाए। ताकि लोग अंतरिक्ष में भी जी सकें। चूंकि शून्य गुरुत्वाकर्षण बल में पौधे नहीं उगते इसलिए उनका बनाया फोटोसिंथेटिक पदार्थ अंतरिक्ष में मानव जीवन के लिए वरदान साबित होगा।
जुलियन मेलकियोरी ने लंदन आरसीए इनोवेशन डिजाइन का इंजीनियरिंग कोर्स किया है। उन्होंने अपने इंसान का उपयोग अमेरिका की मैसाचुएट्स स्थित टर्फ यूनिवर्सिटी के सिल्क लैब में किया। उन्होंने वहीं अपने इस नए पदार्थ को इजाद किया। प्लांट सेल के क्लोरोप्लास्ट से बने इस पदार्थ को सिल्क प्रोटीन के तंतु में बांधा गया है। इस प्रोटीन को रेशम के स्वाभाविक तंतु से निकाला गया है।
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