अब भारतीय रेल पर भी मोदी प्रभाव दिखेगा। ट्रेनों को समय से चलाने के लिए मंडल स्तर पर पूर्वोत्तर रेलवे, उत्तर रेलवे व उत्तर मध्य रेलवे के बीच समन्वय समितियां बन चुकी हैं। आने वाले दिनों में दो रेलवे बार्डर पर ट्रेनों के आदान-प्रदान में दिक्कत नहीं होगी। ट्रेनें समय से चलेंगी और यात्री अनावश्यक देरी से बच सकेंगे। वाराणसी निरीक्षण करने रेलवे बोर्ड चेयरमैन ने यात्री सुविधाओं पर फोकस किया।
बोर्ड चेयरमैन ने यहां शिकायत मिलने पर वरुणा एक्सप्रेस ट्रेन की मानीटरिंग का निर्देश दिया। यात्रियों ने रेलवे बोर्ड से शिकायत की कि दैनिक यात्रियों को लेकर चलने वाली वाराणसी-लखनऊ-कानपुर वरुणा एक्सप्रेस हर रोज घंटों विलंब से पहुंचती है। यह ट्रेन वाराणसी कैंट, लखनऊ और कानपुर के आउटर पर एक-एक घंटे तक खड़ी रहती है। इस वजह से सफर करने वाले यात्री समय से ड्यूटी पर नहीं पहुंच पाते? यात्रियों ने कहा कि लोडिंग अनलोडिंग के चक्कर में भी इसे प्लेटफार्म पर भी काफी देर तक खड़ा रखा जाता है।
यात्रियों की शिकायत सुनकर एक बार रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अरुणेंद्र कुमार भी सोच में पड़ गए। कुछ सोचने के बाद बोले, वरुणा एक्सप्रेस की मानीटरिंग कराई जाएगी। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। सामान्य परिस्थितियों में कोई नहीं चाहेगा कि ट्रेन लेट हो। थोड़ी सफाई भी दी, बोले जिस रूट पर वरुणा चलती है वह वाराणसी-सुल्तानपुर-लखनऊ-कानपुर ट्रैक बहुत व्यस्त है। इस रूट पर क्षमता से अधिक ट्रेनें चलाई जा रही हैं। यह भी कारण हो सकता है।
बोर्ड चेयरमैन ने यहां शिकायत मिलने पर वरुणा एक्सप्रेस ट्रेन की मानीटरिंग का निर्देश दिया। यात्रियों ने रेलवे बोर्ड से शिकायत की कि दैनिक यात्रियों को लेकर चलने वाली वाराणसी-लखनऊ-कानपुर वरुणा एक्सप्रेस हर रोज घंटों विलंब से पहुंचती है। यह ट्रेन वाराणसी कैंट, लखनऊ और कानपुर के आउटर पर एक-एक घंटे तक खड़ी रहती है। इस वजह से सफर करने वाले यात्री समय से ड्यूटी पर नहीं पहुंच पाते? यात्रियों ने कहा कि लोडिंग अनलोडिंग के चक्कर में भी इसे प्लेटफार्म पर भी काफी देर तक खड़ा रखा जाता है।
यात्रियों की शिकायत सुनकर एक बार रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अरुणेंद्र कुमार भी सोच में पड़ गए। कुछ सोचने के बाद बोले, वरुणा एक्सप्रेस की मानीटरिंग कराई जाएगी। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। सामान्य परिस्थितियों में कोई नहीं चाहेगा कि ट्रेन लेट हो। थोड़ी सफाई भी दी, बोले जिस रूट पर वरुणा चलती है वह वाराणसी-सुल्तानपुर-लखनऊ-कानपुर ट्रैक बहुत व्यस्त है। इस रूट पर क्षमता से अधिक ट्रेनें चलाई जा रही हैं। यह भी कारण हो सकता है।
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