स्कॉटलैंड का शहर ग्लास्गो 20वें कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी करने को तैयार है। ब्रिटिश उपनिवेशों के बीच खेले जाने वाले इन खेलों ने 84 साल के इतिहास में लंबा सफर तय किया है। 1930 से लेकर 1950 तक कॉमनवेल्थ गेम्स को ब्रिटिश एंपायर गेम्स के तौर पर जाना जाता था। इस बीच, द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से 1942 और 1948 में यह खेल नहीं हो सके।
इसके बाद 1950 से 1966 तक इसे ब्रिटिश एंपायर एंड कॉमनवेल्थ गेम्स और 1970 से 1974 तक ब्रिटिश कॉमनवेल्थ गेम्स के नाम से जाना गया। 1978 में कनाडा के एडमंटन में खेले गए खेलों में एक बार फिर से इसका नाम बदला गया और तब से लेकर अब तक इसे कॉमनवेल्थ गेम्स के तौर पर जाना जाता है।
1978, एडमंटन, कनाडा
कनाडा ने तीसरी बार कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी की। पहली बार रानी एलिजाबेथ ने इन खेलों का उद्घाटन किया। मेजबान कनाडा पदक तालिका में शीर्ष पर रहा।
1982, ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में तीसरी बार खेले गए खेलों के सामान्य वर्ग में पहली बार किसी विकलांग खिलाड़ी ने स्वर्ण पदक जीता।
1986, एडिनबरा, स्कॉटलैंड
इन खेलों में खेलने वाले देशों से ज्यादा ने रंगभेद की नीति के कारण इसका बहिष्कार किया। इसमें भारत भी शामिल था।
1990, ऑकलैंड, न्यूजीलैंड
न्यूजीलैंड के शहर ऑकलैंड ने दूसरी बार इन खेलों की मेजबानी की। इन खेलों से मैत्रीपूर्ण कॉमनवेल्थ गेम्स की छवि समृद्ध हुई।
1994, विक्टोरिया, कनाडा
दक्षिण अफ्रीका की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वापसी हुई। कुल 67 में से 63 देशों ने इन खेलों में हिस्सा लिया।
1998, कुआलालंपुर, मलेशिया
पहली बार किसी एशियाई देश ने कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी की। पहली बार टीम खेलों को स्थान मिला और क्रिकेट को भी इन खेलों में शामिल किया गया।
2002, मैनचेस्टर, इंग्लैंड
पहली बार विकलांग वर्ग की अलग से स्पर्धाएं हुई। डेविड डिक्सन पुरस्कार मैनचेस्टर खेलों से शुरू किया गया और पहला पुरस्कार दक्षिण अफ्रीका की तैराक नाताली को दिया गया।
2006, मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया
पहली बार क्वींस बेटन सभी प्रतिभागी देशों में घूमी। समरेश जंग डेविड डिक्सन पुरस्कार हासिल करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।
2010, नई दिल्ली, भारत
पहली बार भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी की। भारत ने अब तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए कुल 101 पदक जीत दूसरा स्थान हासिल किया।
इसके बाद 1950 से 1966 तक इसे ब्रिटिश एंपायर एंड कॉमनवेल्थ गेम्स और 1970 से 1974 तक ब्रिटिश कॉमनवेल्थ गेम्स के नाम से जाना गया। 1978 में कनाडा के एडमंटन में खेले गए खेलों में एक बार फिर से इसका नाम बदला गया और तब से लेकर अब तक इसे कॉमनवेल्थ गेम्स के तौर पर जाना जाता है।
1978, एडमंटन, कनाडा
कनाडा ने तीसरी बार कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी की। पहली बार रानी एलिजाबेथ ने इन खेलों का उद्घाटन किया। मेजबान कनाडा पदक तालिका में शीर्ष पर रहा।
1982, ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में तीसरी बार खेले गए खेलों के सामान्य वर्ग में पहली बार किसी विकलांग खिलाड़ी ने स्वर्ण पदक जीता।
1986, एडिनबरा, स्कॉटलैंड
इन खेलों में खेलने वाले देशों से ज्यादा ने रंगभेद की नीति के कारण इसका बहिष्कार किया। इसमें भारत भी शामिल था।
1990, ऑकलैंड, न्यूजीलैंड
न्यूजीलैंड के शहर ऑकलैंड ने दूसरी बार इन खेलों की मेजबानी की। इन खेलों से मैत्रीपूर्ण कॉमनवेल्थ गेम्स की छवि समृद्ध हुई।
1994, विक्टोरिया, कनाडा
दक्षिण अफ्रीका की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वापसी हुई। कुल 67 में से 63 देशों ने इन खेलों में हिस्सा लिया।
1998, कुआलालंपुर, मलेशिया
पहली बार किसी एशियाई देश ने कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी की। पहली बार टीम खेलों को स्थान मिला और क्रिकेट को भी इन खेलों में शामिल किया गया।
2002, मैनचेस्टर, इंग्लैंड
पहली बार विकलांग वर्ग की अलग से स्पर्धाएं हुई। डेविड डिक्सन पुरस्कार मैनचेस्टर खेलों से शुरू किया गया और पहला पुरस्कार दक्षिण अफ्रीका की तैराक नाताली को दिया गया।
2006, मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया
पहली बार क्वींस बेटन सभी प्रतिभागी देशों में घूमी। समरेश जंग डेविड डिक्सन पुरस्कार हासिल करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।
2010, नई दिल्ली, भारत
पहली बार भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी की। भारत ने अब तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए कुल 101 पदक जीत दूसरा स्थान हासिल किया।
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