Tuesday 26 August 2014

Shankaracharya's followers, Sai Baba devotees clash at Dharma Sansad

धर्म संसद में साई को भगवान, संत और गुरु नहीं माना गया। काशी विद्वत परिषद के संरक्षक शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने परिषद के निर्णय पर अंतिम मुहर लगाई। शंकराचार्य ने कहा कि अब मंदिरों में साई की पूजा नहीं होगी। भविष्य में साई के नाम से कोई मंदिर नहीं बनाया जाएगा। इससे पहले धर्म संसद में आए प्रस्तावों पर काशी विद्वत परिषद ने फैसला सुनाया। परिषद ने कहा कि साई को भगवान कहना शास्त्र और वेद सम्मत नहीं है। इसलिए उनको भगवान, गुरु और संत नहीं माना जा सकता। परिषद ने स्पष्ट किया कि दो दिन के मंथन के बाद साई किसी भी कसौटी पर भगवान सिद्घ नहीं हुए हैं।

कवर्धा में आयोजित धर्म संसद के अंतिम दिन सोमवार को शंकराचार्य ने कहा कि सनातन धर्म ने देश को एक बनाया है। गंगा ने पूरे देश में एकता का पाठ सिखाया। लोग साई को अवतार मान रहे हैं, जबकि अवतार उसे माना जाता है, जो अपनी इच्छा से शरीर का धारण करते हैं। साई को तो अपने वर्तमान का पता नहीं था, तो वे भगवान कैसे हो सकते हैं। शंकराचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें उम्मीद है कि वो गोहत्या रोकने के लिए प्रयास करेंगे। सरकार लोगों को धर्म की शिक्षा दिलाए। निरंजन अखाड़े के नरेंद्र गिरी ने कहा कि अगर तमाम मंदिरों से साई की मूर्तियों को नहीं हटाया गया तो मंदिरों से साई की मूर्तियों को हटाकर नदियों में विसर्जित किया जाएगा।

संतानहीन हिंदू कर सकता है दूसरी शादी:

शंकराचार्य ने धर्म संसद के सभी प्रस्तावों पर मानते हुए यह भी कहा कि अगर किसी हिंदू को संतान नहीं हो रही है तो वह दूसरी शादी कर सकता है। इसके अलावा गंगा को निर्मल अविरल धारा में प्रवाहित करने के लिए प्रयास करना होगा। विश्वविद्यालयों में गीता, रामायण और महाभारत की पढ़ाई अनिवार्य होना चाहिए। नकली संतों का बहिष्कार करना चाहिए। नारी का सम्मान बढ़ाना होगा। कानून से कोई हल नहीं निकलने वाला, इसके लिए धर्म जागरण अभियान चलाना होगा, का भी प्रस्ताव रखा गया। आखिरी प्रस्ताव अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का था। सरकार को राम मंदिर निर्माण में आ रहे सभी अवरोध को दूर करने का प्रस्ताव भेजा गया है। देश में धर्म की रक्षा के लिए सनातन संघर्ष समिति का गठन किया गया है। यह कमेटी देश में अलग-अलग स्थानों पर धर्म संसद का आयोजन करेगी और नकली साधुओं को समाप्त करने के लिए अभियान चलाएगी।

साधुओं ने साई भक्त को घेरा:

धर्म संसद में एक साई समर्थक मनुष्यमित्र और साधुओं के बीच विवाद हो गया। मंच पर पहुंचे मनुष्यमित्र ने कहा कि धर्म संसद ¨हदुओं को बांटने का काम कर रही है। विवाद बढ़ा तो साधुओं के समूह ने उसे घेर लिया। किसी तरह पुलिस मनुष्यमित्र को बचाकर अपने साथ ले गई। तमाम संत साई के खिलाफ जमकर बोलते रहे। लेकिन जब साई भक्त मंच पर आए तो उनको अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया।

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