Friday 29 November 2013

Shocked, shattered by sexual harassment allegations: Ganguly

Shocked
जागरण ब्यूरो, कोलकाता। लॉ की इंटर्न छात्रा के शारीरिक शोषण का आरोप झेल रहे सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एके गांगुली स्वयं को निर्दोष मानते हैं। तमाम आरोपों से इन्कार करते हुए उन्होंने खुद को परिस्थिति का शिकार बताया और कहा कि वे मामले को लेकर शर्मिदा नहीं हैं। एक निजी टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में खुद का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि आरोपों से मुझे गहरा धक्का लगा है और मैं लगभग टूट चुका हूं। पीड़ित इंटर्न को उन्होंने अपनी बेटी की तरह बताया और कहा कि वह बच्ची मेरे घर कई बार आ चुकी है। वह मेरे साथ काम कर चुकी है, लेकिन उसने कभी मुझसे इस बारे में बात नहीं की।
न्यायाधीश गांगुली ने सफाई देते हुए कहा कि मैंने कभी उससे घर आने के लिए दबाव नहीं डाला। पूरे मामले में मैं परिस्थितियों का शिकार हुआ हूं। लेकिन अगर यह परंपरा आगे भी जारी रही तो सुप्रीम कोर्ट में ईमानदार न्यायाधीशों का काम करना मुश्किल हो जाएगा। वह प्रकरण की जांच कर रहे सुप्रीम कोर्ट के पैनल के रवैये से भी दुखी हैं। उन्होंने कहा कि पैनल के सामने उन्हें सफाई का मौका नहीं दिया गया। उस इंटर्न से उसके ब्लॉग के विषय में भी बात करने का मौका नहीं दिया। एक सवाल के जवाब में न्यायाधीश ने कहा कि 'इस मामले की तुलना तरुण तेजपाल प्रकरण के साथ न की जाए।'
जब उनसे पूछा गया कि क्या आप इस आरोप के बाद पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देंगे तो उन्होंने कहा कि यह किस तरह का सवाल है। मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता।
गौरतलब है कि पीड़ित महिला वकील ने अपने ब्लॉग में इंटर्नशिप के दौरान 2012 में सुप्रीम कोर्ट के एक जज द्वारा उसका शारीरिक शोषण करने का आरोप लगाया है। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ जुडिसियल साइंस, कोलकाता से लॉ की डिग्री हासिल करने वाली महिला वकील ने दिल्ली में इंटर्नशिप की थी। इस दौरान तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बंद्योपाध्याय ने न्यायाधीश एके गांगुली का इस्तीफा मांगा है। उन्होंने कहा कि अपने इंटर्न द्वारा यौन शोषण का आरोप लगाए जाने के बाद न्यायाधीश को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। ऐसा पहली बार हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश इस तरह के आरोप में फंसा है।---
'हम दोनों ने साथ बैठकर खाना खाया है, लेकिन मैंने उसे कभी अपने साथ काम करने के लिए मजबूर नहीं किया। वह जाने के लिए हमेशा स्वतंत्र थी।'
-एके गांगुली, पूर्व न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट
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