Friday 29 November 2013

TC Approves Setting up Wi-fi Hotspots in 2.5 lakh Panchayats

Telecom Commission
नई दिल्ली। ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने की सरकार की योजना लेटलतीफी के चलते परवान नहीं चढ़ पा रही है। सुस्ती का आलम यह है कि दो साल में केवल 60 गांव तक ही इंटरनेट पहुंच पाया है। इसके बावजूद यह दावा किया जा रहा है कि मार्च 2014 तक यानी अगले चार महीनों में एक लाख गांव इससे जुड़ जाएंगे। साथ ही सितंबर 2015 तक यानी पौने दो साल में ढाई लाख पंचायतों में यह सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।
वित्त वर्ष 2011-12 के आम बजट में नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क प्रोजेक्ट [एनओएफएन] के तहत गांवों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने का प्रस्ताव किया गया था। तब दिसंबर 2012 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की समय सीमा तय की गई थी। अक्टूबर 2011 से इस पर काम भी शुरू हो गया। मगर तय अवधि में प्रोजेक्ट के पूरा नहीं होने पर इसकी समय सीमा बढ़ाकर दिसंबर 2013 कर दी गई। अब इसे एक बार फिर से बढ़ाकर सितंबर 2015 कर दिया गया है। इस प्रोजेक्ट का वित्त पोषण यूनीवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड [यूएसओएफ] के जरिये किया जा रहा है।
यूएसओएफ के संचालक एन. रविशंकर ने सुस्ती की बात स्वीकारते हुए कहा कि हम केवल 60 ग्राम पंचायतों तक ही एनओएफएन को पहुंचा पाए हैं। फिर भी हमें पूरी उम्मीद है कि सितंबर-अक्टूबर, 2015 तक सभी ग्राम पंचायतों तक यह प्रोजेक्ट पहुंच जाएगा। लेटलतीफी के लिए उन्होंने निजी टेलीकॉम कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया। उनके मुताबिक निजी कंपनियां वित्तीय सुस्ती की शिकार हैं। इसी वजह से वे इस प्रोजेक्ट में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रही हैं। जल्द ही वे अपनी वित्तीय समस्याओं से उबरकर इस प्रोजेक्ट को तेजी से आगे बढ़ाएंगी।
हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि जब सार्वजनिक क्षेत्र की टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल को भी इससे जोड़ दिया गया है तो भी परियोजना की रफ्तार इतनी सुस्त क्यों है। राष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेट कनेक्टिविटी देने के लिए सरकार ने भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड [बीबीएनएल] का गठन किया था। इस कंपनी ने हाल ही में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाने और ब्रॉडबैंड उपकरणों के लिए टेंडर जारी किए हैं। बीबीएनएल इस प्रोजेक्ट को पूरा करेगा और बीएसएनएल, रेलटेल एवं पावर ग्रिड इसका परिचालन करने के लिए जिम्मेदार हैं।
सूत्रों ने बताया कि टेलीकॉम विभाग की सर्वोच्च नीति निर्धारण संस्था अंतर मंत्रालयी टेलीकॉम आयोग ने एनओएफएन को तीन फेज में पूरा करने की मंजूरी दे दी है। इसके तहत मार्च-2014 तक एक लाख पंचायतों तक, मार्च-2015 तक दो लाख और बाकी गांवों तक सितंबर-2015 तक इंटरनेट पहुंचाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद ग्राम पंचायतों में 100 एमबी प्रति सेकेंड की रफ्तार वाला इंटरनेट मौजूद होगा। यूएसओएफ ने इस प्रोजेक्ट के लिए 20,100 करोड़ रुपये मुहैया कराए हैं। इस फंड में सभी मोबाइल ऑपरेटर हर साल अपने कुल राजस्व का पांच फीसद हिस्सा देते हैं।

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