बीजिंग। भारत को अपनी घरेलू और राजनीतिक बाधाओं से पार पाना होगा। उसे अपने लोकतंत्र को चीन के साथ संबंधों को मजबूत बनाने में बाधा नहीं बनने देना चाहिए। भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हाल की चीन यात्रा के बाद अपनी पहली टिप्पणी में एक आधिकारिक थिंक टैंक ने यह बात कही है।
शंघाई इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के रिसर्च फेलो लियू जेंगयी द्वारा लिखे लेख में कहा गया है कि भारतीय मीडिया ने भारत और चीन के बीच के सीमा रक्षा सहयोग समझौते की सराहना की है। भारतीय मीडिया ने इसे भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के बाद सबसे महत्वपूर्ण और स्थायी राजनयिक उपलब्धि बताया है। 'डोमेस्टिक ऑब्सटेकल्स कीप डेल्ही फ्रॉम रियलिस्टिक इकोनॉमिक च्वाइसेस' शीर्षक वाले लेख में कहा गया है कि हाल की चीन यात्रा में सिंह ने व्यापार असंतुलन और चीन-पाकिस्तान संबंधों का मुद्दा भी उठाया। यह लेख मंगलवार को सरकारी ग्लोबल टाइम्स अखबार में प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया है कि क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए भारत में औद्योगिक पार्क और बांग्लादेश, चीन, भारत, म्यांमार (बीसीआइएम) इकोनामिक कोरिडोर को बनाने की चीन की योजना को पूरा नहीं किया गया। भारत में विदेशी निवेश के खिलाफ विपक्षी पार्टियों के रुख और सार्वजनिक विरोध को घरेलू बाधा बताया गया है।
चीन ने पहली परमाणु पनडुब्बी सेवा से हटाई
परमाणु पनडुब्बी के बेड़े के पहले प्रदर्शन के बीच चीन ने अपनी पहली परमाणु पनडुब्बी को सेवा से हटा दिया है। यह पनडुब्बी पिछले 40 वर्षो से अधिक समय से सेवा में थी। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी डेली की मंगलवार की रिपोर्ट में कहा गया है कि द लांग मार्च नंबर-एक परमाणु पनडुब्बी को सेवा से हटा दिया गया है और वैज्ञानिकों ने उस गोदाम को प्रदूषण मुक्त कर दिया है जिसमें कि पिछले 40 वर्षो से परमाणु सामग्री रखी हुई थी।
Source: News in Hindi
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