हाथरस। यह एक ऐसी अबला की कहानी है, जिसके बचपन में ही मां-बाप का साया सिर से उठ गया। रिश्तेदारियों में पली-बढ़ी और युवा हुई तो मैनपुरी में एक शोरूम पर नौकरी की। वहीं मालिक के बेटे को दिल दे बैठी। दोनों ने कोर्ट मैरिज व आर्यसमाज में शादी की। ससुरालियों ने विरोध किया तो हाथरस आकर अलग दुनिया बसा ली, मगर मुसीबत ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा।
उन्हें ढूंढते हुए ससुराली आए और अपने बेटे को साथ ले गए। अब वह तीन साल के बेटे को लेकर न्याय की गुहार करती फिर रही है। मूलरूप से फीरोजाबाद के सुहागनगर की रहने वाली कीर्ति के मां-बाप की मौत बचपन में हो गई थी। वह अनाथ हो गई। उसकी परवरिश पहले बुआ और बाद में मौसी ने की। मौसी मैनपुरी में रहती हैं। कीर्ति नौकरी के दौरान मालिक के बेटे अजरुन को दिल दे बैठी। नजदीकियां बढ़ीं तो बेटा पैदा हो गया। प्रेमी वफादार निकला।
अजरुन ने बेटे को अपनाते हुए सात माह पूर्व फीरोजाबाद कोर्ट में शादी कर ली। ससुरालियों को पता चला तो विरोध किया। जिस पर अजरुन ने घर छोड़ दिया, उसे लेकर मथुरा में रहने लगा। इसी दौरान अजरुन ने तीन माह पूर्व फीरोजाबाद आर्यसमाज में भी विवाह की रस्म अदा की। उधर, ससुराली उसके रिश्तेदारों को परेशान करने लगे तो वह और अजरुन हाईकोर्ट में शादी रजिस्टर्ड कराने जा रहे थे तभी फीरोजाबाद में पकड़ लिया। ससुराली बेटे को ले गए, उसे वहीं छोड़ गए। बाद में किसी तरह अजरुन उनके चंगुल से छूटकर कीर्ति के पास पहुंच गया और हाथरस आ गया। यहां नवीपुर में किराए पर कमरा लिया। ससुरालियों ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा और ढूढ़ते हुए आ गए।
Source: News in Hindi
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