वरिष्ठ संवाददाता, गाजियाबाद
इकलौती बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या में डॉ. राजेश तलवार और नूपुर तलवार को सीबीआइ की विशेष अदालत ने मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। जुर्माना भी लगाया। जांच एजेंसी सीबीआइ ने हत्याकांड को दुर्लभतम करार देते हुए दोनों के लिए सजा-ए-मौत की मांग की थी।
----
नोएडा-सेक्टर 25 के जलवायु विहार स्थित डा. तलवार के फ्लैट में 15-16 मई, 2008 की रात आरुषि का कत्ल किया गया था, लाश बेडरूम में मिली थी। जबकि नौकर हेमराज की लाश एक दिन बाद छत से बरामद की गई थी। करीब 18 महीने की सुनवाई के बाद सोमवार को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एस लाल ने डॉ. राजेश और डॉ. नूपुर को हत्या, साक्ष्य नष्ट करने का दोषी करार दिया था। डॉ. राजेश को भ्रामक एफआइआर दर्ज कराने का भी दोषी ठहराया गया था। अगले दिन सजा सुनाने का फैसला किया था।
सिर्फ दस मिनट की बहस
तलवार दंपती को मंगलवार को दोपहर एक बजकर 55 मिनट पर पुलिस ने कड़ी सुरक्षा में पीछे के रास्ते से अदालत में पेश किया। सीबीआइ व बचाव पक्ष के बीच सजा के बिंदु पर करीब दस मिनट बहस हुई। इसके बाद अदालत ने 4 बजकर 25 मिनट पर फैसला सुनाया। फैसला सुनाए जाने के बाद दोनों मुजरिमों को डासना जेल भेज दिया गया।
कम से कम सजा मिले
फैसले से पहले बहस के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता तनवीर अहमद मीर, मनोज सिसोदिया व सत्यकेतु सिंह ने कहा-दोनों पेशे से चिकित्सक हैं और समाज में दोनों की प्रतिष्ठा है। दोनों का कोई पुराना आपराधिक रिकार्ड नहीं है। लिहाजा उन्हें कम से कम सजा दी जाए।
सजा-ए-मौत हो
सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक आरके सैनी व बीके सिंह ने सजा पर बहस की। हत्याकांड को जघन्यतम और दुर्लभतम करार दिया। इसके साथ ही उन्होंने दोनों के लिए सजा-ए-मौत की मांग की।
----------
गुमसुम थे दोनों
-सजा पर सुनवाई के दौरान डॉ. राजेश तलवार व नूपुर तलवार गुमसुम थे। उनके चेहरे पर निराशा के भाव थे। विशेष न्यायाधीश एस. लाल ने अंग्रेजी में अपना फैसला सुनाया। इस दौरान अदालत खचाखच भरी हुई थी।
----------
जुर्म और सजा
-डॉ.राजेश और डॉ.नूपुर को: आइपीसी की धारा 302/34 के तहत आजीवन कारावास, दस हजार का जुर्माना
-डॉ.राजेश और डॉ.नूपुर को: आइपीसी की धारा 201पांच साल की सजा व पांच हजार का जुमाना
डॉ. राजेश: आइपीसी की धारा 203 के तहत एक साल की सजा व दो हजार का जुर्माना
अदालत ने फैसला दिया कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।
-
ईश्वर कत्ल नहीं करता
विशेष एस. लाल ने अपने फैसले में गीता, कुरआन व बाइबिल के उपदेशों का जिक्र किया है। जज ने कहा है कि अभिभावक अपने बच्चों के सबसे अच्छे रक्षक होते हैं। बच्चे भी मां-बाप के साये में खुद को सुरक्षित समझते हैं। लेकिन तलवार दंपती ने इस विश्वास को तोड़ा है। उन्होंने कहा है कि गीता में कहा गया है कि यदि हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म भी हमारी रक्षा करेगा। कुरान की इस आयत का जिक्र किया-'खुदा के दिए पवित्र जीवन को कोई कोई नहीं ले सकता।' बाइबिल के इस उपदेश का हवाला दिया है-'माता-पिता ईश्वर के रूप होते हैं। इन्होंने इस विश्वास को तोड़ा है।'
No comments:
Post a Comment