Tuesday, 26 November 2013

Food Min to move Cabinet on Interest-free loans to Sugar Mills

Cabinet

नई दिल्ली। गन्ना मूल्य पर सियासत और उत्तर प्रदेश में पेराई शुरू न करने पर अड़े चीनी मिलों को मनाने के लिए केंद्र सरकार ने बीच का रास्ता निकालने का फैसला किया है। खाद्य मंत्रालय ने वित्तीय संकट का दावा कर रहे चीनी उद्योग को बैंकों से ब्याज रहित कर्ज दिलवाने का प्रस्ताव किया है। खाद्य सचिव सुधीर कुमार ने बताया कि मंत्रालय इस बारे में कैबिनेट नोट तैयार कर रहा है। इसे जल्द ही कैबिनेट के समक्ष मंजूरी के लिए रखा जाएगा।

पिछले हफ्ते कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह के साथ चीनी उद्योग के प्रतिनिधियों की हुई बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी। बैठक में उद्योग की ओर से यह मांग की गई थी सरकार उन्हें पैकेज के तौर पर कर्ज के ब्याज का भुगतान करे। इसी के आधार पर यह कदम उठाया जा रहा है।
चीनी मिलों की माली हालत को देखते हुए बैंक उन्हें कर्ज देने से कतरा रहे हैं। ऐसे में सरकार का यह कदम उन्हें राहत दे सकता है। सुधीर कुमार ने बताया कि अगर बैंक उन्हें कर्ज देने के लिए आगे आते हैं तो इस पर लगने वाले ब्याज का भुगतान सरकार चीनी विकास फंड से करेगी। इस फंड में करीब 1,200 करोड़ रुपये पड़े हैं।
उन्होंने कहा कि अगर चीनी उद्योग पिछले दो चीनी सीजन के उत्पाद शुल्क के आधार पर दो साल के लिए 3,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेता है तो इस पर 380-400 करोड़ रुपये तक का ब्याज बनेगा। उद्योग का कहना है कि चीनी उत्पादन की लागत बढ़ने और घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में तेज गिरावट के चलते उन्हें वित्तीय मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसी के कारण उनका गन्ना एरियर पिछले सीजन में बढ़कर 3,400 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
यूपी के मिलों द्वारा पेराई शुरू न करने पर कुमार ने कहा कि इसमें देरी से कुल उत्पादन पर असर पड़ेगा। यह पूछे जाने पर कि इसमें कितनी कमी आएगी उन्होंने कहा कि अभी यह बताना मुश्किल है।

Source- Business News in Hindi

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