Friday, 29 November 2013

India wastes fruits and vegetables worth Rs 13,300 crore every year

vegetables
नई दिल्ली। लोगों को सब्जियां और फल खाने को मिल नहीं रहे क्योंकि देश में करीब 13,300 करोड़ रुपये की फल-सब्जियां बर्बादी की भेंट चढ़ जाते हैं। अमेरिका स्थित प्रौद्योगिकी फर्म एमरसन की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। एमरसन क्लाइमेट टेक्नोलॉजीज इंडिया ने एक बयान में कहा है कि दुनिया में फलों और सब्जियों के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश भारत में हर साल 133 अरब डॉलर के ताजा उत्पादों की बर्बादी होती है, जिसका मुख्य कारण पर्याप्त भंडारण सुविधा और शीत भंडारित परिवहन व्यवस्था की कमी है।
एमरसन क्लाइमेट टेक्नोलॉजीज अमेरिका स्थित विनिर्माण एवं प्रौद्योगिकी कंपनी एमरसन का हिस्सा है। बयान में कहा गया है, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीएचईटी) के आंकड़ों के अनुसार भारत के फलों और सब्जियों के उत्पादन का 18 प्रतिशत, जिसकी कीमत 13,300 रुपये आंकी गई है, हर साल बर्बाद हो जाती है।
एमरसन फूड वेस्टेज एंड कोल्ड स्टोरेज  रिपोर्ट में स्टडीज का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारत में फल, सब्जी और अनाज की बर्बादी सालाना करीब 44,000 करोड़ रुपये की है। फल और सब्जियों की इस बर्बादी में सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। अभी देश में 6,300 कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं हैं। इनकी कुल क्षमता 3.011 करोड़ टन है। अध्ययन से पता चला है कि ये कोल्ड स्टोरेज भारत की कुल जरूरत का आधा हिस्सा ही पूरा कर पा रहे हैं।
देश में सभी खाद्य उत्पादों के लिए कोल्ड स्टोरेज क्षमता 6.1 करोड़ टन से ज्यादा होनी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए 2015-16 तक 55,000 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी, तभी फलों और सब्जियों की बढ़ती पैदावार को देश में कोल्ड स्टोरेज सुविधा का सहारा मिल पाएगा।
इंडिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका क्षेत्र के लिए एमरसन के प्रेसिडेंट प्रदीप्त सेन ने कहा, 'इस दिशा में प्रोग्रेस हो रही है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि देश में कोल्ड स्टोरेज की हालत आशंका से कहीं ज्यादा खराब है। भारत में 1.2 अरब लोग रहते हैं। ऐसे में फलों और सब्जियों के बेहतर इस्तेमाल और इन्हें बर्बादी से बचाना सबके हित में है।

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