कोलकाता [जासं]। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) कांग्रेस के कुछ मंत्रियों के इशारे पर सहारा समूह को फंसाने की कोशिश कर रहा है। सहारा समूह के सर्वेसर्वा सुब्रत राय ने यह आरोप लगाया है। सुब्रत राय ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम लिए बिना कहा कि उनके विदेशी मूल का मुद्दा उठाने और उन्हें पीएम बनाने की मुखालफत करने की कीमत सहारा को चुकानी पड़ रही है।
सुब्रत राय ने कहा, 'सेबी हमारे लिए एक रेगुलेटर व बड़े भाई की भूमिका में नहीं है, जैसा दूसरी कंपनियों के मामले में है। इसकी वजह राजनीतिक ही है।' सराहा प्रमुख ने भाजपा शासित राज्यों- मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ का नाम लेकर वहां हो रहे विकास की चर्चा की।
उन्होंने कहा कि मोदी से तो मिला हूं, लेकिन राहुल के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। सेबी के साथ विवाद से कंपनी की साख पर असर पड़ रहा है, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारी कुल देनदारियों से संपत्तियों का मूल्य बहुत अधिक है। इसे लेकर चिंता की बात नहीं। अभी हमारे पास जमाकर्ताओं और बैंकों की कुल देनदारी 40 से 45 हजार करोड़ रुपये के बीच है। इसके मुकाबले हमारी भूमि व अन्य अचल संपत्तियों की कीमत 1.20 लाख करोड़ रुपये है।
सुब्रत राय सेबी की भूमिका से खास नाराज दिखे। उन्होंने कहा, 'आज के दौर में देश में कोई बड़ा उद्यमी नहीं उभर सकता। तीस साल पहले मैंने अपनी यात्रा शुरू की थी और एक उपलब्धि हासिल की। मगर आज के हालात में मैं भी कुछ नहीं कर सकता।' इस दौरान उन्होंने बंगाल में अपनी निवेश की योजनाओं की भी जानकारी दी। इनमें दक्षिण 24 परगना में 400 करोड़ रुपये की लागत से 500 बेड के अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज का निर्माण शामिल है।
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