Tuesday, 26 November 2013

DGCA hires 20 pilots as inspectors to ‘Save Skin’

West Bengal
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। एफएए की ओर से रेटिंग घटाए जाने के डर से डीजीसीए हड़बड़ी में 20 पायलटों को मुंहमांगे वेतन पर फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टर (एफओआइ) के तौर पर भर्ती करने जा रहा है। यह पहली मर्तबा है जब एफओआइ की इतने ऊंचे वेतनमान पर भर्ती की जा रही है।

दरअसल, सरकारी वेतनमान पर कुशल एफओआइ मिलना मुश्किल है। पिछले दौरे में अमेरिकी एविएशन नियामक फेडरल एविएशन एडमिनिस्टेशन (एफएए) ने कामचलाऊ एफओआइ पर एतराज जताया था। इसी आधार पर एफएए ने रेटिंग घटाने की चेतावनी दी थी।

अमेरिकी विमानन नियामक एजेंसी की टीम 11-13 दिसंबर के दौरान भारत आ रही है। इस दौरान वह भारतीय विमानन निदेशालय (डीजीसीए) की 33 खामियों की नए सिरे से जांच करेगी। इनकी तरफ एफएए ने सितंबर के पिछले दौरे में इशारा किया था। इनमें सबसे प्रमुख खामी फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टरों की कमी थी। अमेरिका वापस लौटते हुए एफएए की टीम ने भारतीय नियामक डीजीसीए को तीन महीने में इन खामियों को दुरुस्त करने को कहा था। उसी क्रम में दिसंबर में एफएए की टीम दोबारा ऑडिट करने आ रही है। यदि इसमें हालात संतोषजनक नहीं पाई गई तो वह भारत की विमानन सुरक्षा की रेटिंग को मौजूदा कैटेगरी-1 से घटाकर कैटेगरी-2 में डाल देगी। इसका मतलब होगा कि भारत में उड़ानें भेजना अपेक्षाकृत कम सुरक्षित है। यदि ऐसा हुआ तो इससे अमेरिका समेत कई देशों की अंतरराष्ट्रीय एयरलाइनों की भारत के लिए उड़ानें कम हो सकती हैं। यही वजह है कि डीजीसीए पूरी ताकत से अपने ढीले पेंच कसने में जुटा है।

एफएए टीम के आने से ठीक पहले एक साथ बीस फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टरों के रूप में पायलटों की नियुक्ति की प्रक्रिया इसका प्रमाण है। यही नहीं, पहली बार ऐसा देखने में आ रहा है कि 10 सीनियर एफओआइ को डेप्युटेशन पर लेने के बजाय एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर लिया जा रहा है। वह भी 10-12 लाख रुपये मासिक के जबरदस्त वेतन पर। जबकि अन्य दस एफओओ 3-5 लाख रुपये मासिक वेतन पर रखे जा रहे हैं।

इनमें मुख्यत: किंगफिशर या एयर इंडिया से बेरोजगार या रिटायर हुए पायलट आवेदन कर रहे हैं। क्योंकि दोनों पदों के लिए आयु सीमा 56-65 वर्ष रखी गई है। लेकिन इन कोशिशों के बावजूद कुछ चीजों पर डीजीसीए का जोर नहीं है। उनमें नई सरकार बनने के बाद ही बदलाव होने के आसार हैं।

उदाहरण के लिए डीजीसीए की जगह ज्यादा स्वायत्त सिविल एविएशन अथॉरिटी (सीएए) का गठन अब मौजूदा सरकार के बस में नजर नहीं आता। जब तक सीएए नहीं बन जाता, डीजीसीए से काम चलाने की मजबूरी है। यही नहीं, डीजीसीए के मुखिया के तौर पर अरुण मिश्र का एक वर्ष का बढ़ा कार्यकाल भी अगले कुछ महीनों में समाप्त हो रहा है। इसके बाद वह मूल कैडर पश्चिम बंगाल लौट जाएंगे, जहां से उन्हें बुलाया भी जा रहा है। ऐसे में कोई आइएएस अधिकारी ही एक बार फिर डीजीसीए का मुखिया बन सकता है। साथ ही, कुछ उप निदेशकों को प्रमोशन देकर उन्हें संयुक्त निदेशक बनाया जा सकता है।

Source- Business News in Hindi

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