रोहतक। कलानौर क्षेत्र के सुंडाना गांव की 17 साल की लड़की 15 दिनों में दर-दर दरिंदों का शिकार होती रही। पहले तो एक युवक ने शादी का झांसा देकर साथियों के साथ उसकी आबरू लूटी। फिर उसे अलग-अलग जगहों पर नौ लोगों ने हवस का शिकार बनाया। एक पुलिसकर्मी भी मिला तो मदद करने की जगह उसने भी रेप किया। बाद में कलानौर पुलिस से भी उसे मदद नहीं मिली तो उसने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग से फरियाद की। आयोग ने इस पर कड़ा संज्ञान लिया है। उधर, जिला उपायुक्त ने भी पुलिस प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगा है।
जानकारी के मुताबिक यह किशोरी गांव के ही युवक के झांसे में आ गई। शादी का सपना दिखाकर वह 25 अक्टूबर को उसे अपने साथ ले गया। रात में उसने गांव के तीन अन्य युवकों को बुला लिया जहां खेत में सभी ने उसके साथ रेप किया। इसके बाद उसने झज्जर के एक युवक को सौंप दिया, जिसने सिपाही के साथ मिलकर दो दिन तक उसके साथ रेप किया। सिपाही उसे लेकर दिल्ली के आरके पुरम गया, जहां उसे एक कमरे में बंद कर दिया गया। वहां दो अन्य युवकों ने उसके साथ रेप किया। उन युवकों ने उसे गुड़गांव के एक व्यक्ति को सौंप दिया, जिसने गुड़गांव ले जाकर उसकी आबरू के साथ खिलवाड़ किया। 25 अक्टूबर को किशोरी के परिजनों ने कलानौर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर दी थी। परिजनों के दबाव में एक महिला एएसआइ के साथ पहुंची पुलिस टीम 8 नवंबर को कलानौर थाने लाई। किशोरी के मुताबिक उसे दो दिन तक थाने में रखा गया जहां महिला एएसआइ ने उससे मारपीट की। परिवार की बदनामी दिखाकर शिकायत न करने का दबाव बनाया गया। परिजनों का दबाव बढ़ने पर पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने 164 के तहत उसका बयान दिलाया। पीड़िता का कहना था कि दबाव के कारण उसने पुलिस के मुताबिक बयान दिए। इस बीच परिजनों से नहीं मिलने दिया।
बाल संरक्षण आयोग ने लिए बयान
पुलिस से न्याय नहीं मिला तो वह परिजनों के साथ दिल्ली पहुंची और मीडिया के सामने आप बीती सुनाई। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए पीड़िता के बयान कलमबद्ध किया।
बाल कल्याण कमेटी की हुई बैठक
बुधवार को जिला बाल कल्याण कमेटी के चेयरमैन व उपायुक्त डॉ. अमित अग्रवाल ने कमेटी की बैठक की। सूत्रों की मानें तो डीसी ने पुलिस प्रशासन से जवाब मांगा है। कलानौर थाना के जिम्मेदार अधिकारियों पर गाज गिरने के संकेत भी दिए हैं। उपायुक्त ने बताया कि पुलिस को हिदायत दी गई है कि कोई भी बाल उत्पीड़न का केस आए तो कमेटी के समक्ष पेश करें। भविष्य में ऐसा करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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