Tuesday, 26 November 2013

Eco intel agency detects Rs 3,000 cr black money in 2013 H1

Black money
नई दिल्ली। आर्थिक खुफिया एजेंसियों ने वर्ष 2013 की पहली छमाही में देश में करीब 3,000 करोड़ रुपये के कालेधन का पता लगाया है। केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो ने इस अवधि में टैक्स चोरी और कालेधन के हस्तांतरण के 174 मामले पकड़े हैं। सीईआइबी वित्ताीय अपराधों से संबंधित जानकारी जुटाकर इसे अन्य प्रवर्तन एजेंसियों को उपलब्ध कराती है।

सूत्रों के मुताबिक 3,000.98 करोड़ रुपये के इस कालेधन में 286 करोड़ रुपये केंद्रीय उत्पाद, सीमा शुल्क और सर्विस टैक्स चोरी के हैं। इस खुफिया ब्यूरो को प्रवर्तन एजेंसियों से 843 सूचनाएं हासिल हुई। सबसे ज्यादा 408 सूचनाएं सर्विस टैक्स आयुक्तों से हासिल हुई, जबकि 120 सूचनाएं राजस्व खुफिया महानिदेशालय ने उपलब्ध कराई। सभी मामलों में विभिन्न फर्मो और व्यक्तियों ने 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के टैक्स की चोरी की है।
संदिग्ध ट्रांजेक्शनों की सूचनाएं संग्रह करने, अध्ययन और अन्य एजेंसियों को उपलब्ध कराने का काम करने वाली वित्ताीय खुफिया यूनिट (एफआइयू) ने भी 33 संदिग्ध ट्रांजेक्शन रिपोर्ट (एसटीआर) उपलब्ध कराई हैं। एसटीआर 10 लाख रुपये से ज्यादा के ऐसे ट्रांजेक्शन पर जारी की जाती है, जिसमें अपराध का मामला कालेधन से जुड़ा होता है।

सीईआइबी ने हाल ही में 2,280 करोड़ रुपये की ऐसी बिना हिसाब-किताब वाली आय की भी पहचान की है, जो प्राइवेट प्लेटमेंट प्रोगाम (पीपीपी) के जरिये जुटाई गई है। पीपीपी कालेधन को सफेद बनाने का नया जरिया बन गया है। इस विकल्प के तहत नियमानुसार केवल 50 लोगों या समूहों को प्रतिभूतियां जारी करके रकम जुटाई जा सकती है। जबकि कंपनियों को सूचीबद्ध कराने के लिए जारी किए जाने वाले आइपीओ में इस तरह की कोई सीमा नहीं निर्धारित होती।


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