टोरंटो। पहली बार जैविक रूप से संवर्धित किसी वायरस का इस्तेमाल करते हुए खतरनाक बीमारी टीबी का नया असरदार टीका तैयार किया गया है। इस टीके को विकसित करने वाले कनाडाई वैज्ञानिकों का दावा है कि यह टीका टीबी का रामबाण इलाज साबित होगा।
मैक्मास्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉ. फियोना स्मैल के अनुसार, 'उनकी टीम द्वारा विकसित टीका वर्तमान में टीबी के इलाज के लिए मौजूद एकमात्र बीसीजी टीके का असरकारक विकल्प बनेगा।' बीसीजी टीके को 1920 में विकसित किया गया था। पूरी दुनिया में डॉक्टर टीबी के इलाज में इसी टीके का इस्तेमाल करते हैं। डॉ. स्मैल का कहना है, 'अभी भी टीबी एक खतरनाक बीमारी बनी हुई है। एचआइवी के बाद यह दूसरी जानलेवा बीमारी के रूप में लोगों के लिए खतरा बनी हुई है। वर्तमान बीसीजी टीका इसके इलाज में निष्प्रभावी साबित हो रहा है।' उन्होंने बताया कि उनकी टीम द्वारा विकसित टीका शरीर में प्रतिरोधक तत्वों को नए सिरे से विकसित करेगा। ध्यान रहे कि विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रतिरक्षण कार्यक्रम के तहत एशिया, अफ्रीका, पूर्वी यूरोप और दक्षिण अमेरिका के देशों में बीसीजी टीकाकरण अभियान चला रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब इस टीके की खोज से टीबी के खिलाफ अभियान को नई गति मिलेगी। उन्होंने बताया कि इस टीके को तैयार करने में दस वर्षों का समय लगा है। मानव पर इसके क्लीनिकल ट्रायल के सकारात्मक परिणाम निकले हैं।
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