नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा बसपा प्रमुख पर हमले के एक दिन बाद बुधवार को मायावती ने पलटवार करते हुए कांग्रेस पर बसपा के संस्थापक कांशीराम के प्रति जातिवादी रुख अपनाने का आरोप लगाया है। मायावती ने कांग्रेस पर कांशीराम के मृत्यु के दिन भी एक दिन के राष्ट्रीय शोक घोषित नहीं करने को इसका उदाहरण दिया।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने एक दिन पहले ही मायावती पर आरोप लगाया था कि वह उत्तर प्रदेश में किसी दलित नेता को उभरने नहीं दे रही हैं। उन्होंने दलितों के विकास और सफलता के लिए और अधिक कोशिश किए जाने की वकालत की।
नई दिल्ली स्थित बहुजन प्रेरणा केंद्र में कांशीराम के सातवें पूण्यतिथि पर लोगों को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि अधिकांश पार्टियां खास कर कांग्रेस ने पार्टी संस्थापक का हमेशा विरोध किया। कांशीराम के प्रति इनका रवैया हमेशा ही जातिवादी और तिरस्कारपूर्ण रहा। इसी वजह से कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार ने उनकी मृत्यु पर भी एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा नहीं की। दलित समाज के लोग इस बात को कभी भूल नहीं सकते। इन्ही बातों से दलितों के प्रति खिलाफत वाली उनकी मानसिकता झलकती है।
उधर, अनुसूचित जाति अधिकारिता के लिए एक राष्ट्रीय जागरूकता कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि अगर दलित समाज अपने आंदोलन को लक्ष्य पर ले जाने के लिए और आगे बढ़ाना चाहता है तो एक और दो दलित नेताओं से काम नहीं चलेगा। इसके लिए हजारों, लाखों में दलित नेताओं की जरूरत होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि आंदोलन को मायावती ने अपने कब्जे में ले लिया है और वह दूसरे दलित नेताओं को उभरने नहीं दे रही।
राहुल गांधी ने दावा किया कि दलित वास्तव में कांग्रेस के साथ रहे हैं। उन्होंने मंडल और मंदिर आंदोलन की आड़ में दलितों को बसपा से दूर रहने की सलाह दी। राहुल ने कहा कि पार्टी को पूरा विश्वास हैं कि कोशिश करके दलितों को फिर से अपने घर वापस लाया जा सकेगा।
Source: News in Hindi
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