Tuesday, 1 October 2013

News in Hindi: Woman died because of dengue


dengue

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : लगभग तीन साल की मासूम पलक मौत की दहलीज से वापस लौट आई है। डॉक्टरों के साथ मां बीना और पिता प्रकाश भी उसके बचने की उम्मीद छोड़ चुके थे। उसे सिविल लाइंस के एक नर्सिंग होम से वापस घर ले जाया जा रहा था। रास्ते में अचानक उसे खांसी आई और मासूम ने आंखें खोल दी। पिता ने दुलार में उसके माथे पर हाथ फेरा तो उसके चेहरे पर हंसी तैर गई। बस फिर क्या था, दम तोड़ रही उम्मीदों को तो जैसे पंख लग गए। प्रकाश उसे घर ले आने की बजाय सरोजनी नायडू बाल चिकित्सालय ले गए। मौत को मात देकर पलक वापस लौट चुकी थी। उसकी मासूम हंसी ने परिजनों की खोई खुशियां लौटा दी हैं। यूं लग रहा है जैसे उन्हें मंझधार में साहिल मिल गया हो। 

प्रतापगढ़ जिले की कुंडा तहसील से 15 किलोमीटर के फासले पर है हीरागंज क्षेत्र। यहीं के ननका शुक्ला का पुरवा गांव में रहने वाले प्रकाश शुक्ला खेती-बाड़ी करते हैं। उनकी दो औलादें हैं। चार साल का बेटा अंबुज और तीन साल की बेटी पलक। कुछ दिनों पहले पलक को अचानक तेज बुखार आया। प्रकाश और उनकी पत्‍‌नी बीना उसे लेकर गांव के एक डॉक्टर के पास गए। उसने बच्ची को शहर ले जाने की सलाह दी। प्रकाश 24 सितंबर को उसे लेकर सिविल लाइंस स्थित एक नर्सिंग होम आए। मिश्रा भवन चौराहे पर स्थित इस नर्सिंग होम में बच्ची को भर्ती कर लिया गया। डॉक्टरों ने बताया उसे डेंगू है। कुछ ही घंटों बाद उसे वेंटीलेटर पर ले लिया गया। चार दिनों में उसकी हालत सुधरने की बजाय बिगड़ती गई। 

रविवार को डॉक्टरों ने बताया कि उसकी बचने की उम्मीद खत्म हो चुकी है। वेंटिलेटर के सहारे उसे जिंदा रखा गया है। यह सुनकर प्रकाश और बीना फूट-फूटकर रोने लगे। पलक को अस्पताल से निकाल कर घर ले जाने की तैयारी की जाने लगी मगर ऊपर वाला अभी शायद इतना पत्थर दिल नहीं हुआ था। उसने पलक के लिए कुछ और ही सोच रखा था। परिजन जैसे ही उसे लेकर अस्पताल से बाहर निकले, उसे खांसी आई फिर उसने आंखें खोल दी। अब वह एलनगंज स्थित सरोजनी नायडू बाल चिकित्सालय के आपातकालीन कक्ष में है। उसका इलाज कर रहीं डॉक्टर रुचि राय ने उसकी हालत खतरे से बाहर बताया। प्रकाश और बीना के चेहरे की रंगत बदल चुकी है। वह कभी प्यार से बेटी की पेशानी को चूम लेते हैं तो कभी हाथ उठाकर ऊपर वाले का शुक्त्रिया अदा करने में जुट जाते हैं।

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