नई दिल्ली [जाब्यू]। प्याज के बाद अब उपभोक्ताओं को महंगा आलू सताने लगा है। पंजाब और हरियाणा के खेतों में खड़ी आलू की अगैती [पहले बोई गई] फसल के मंडियों में पहुंचने में अभी और देरी का अनुमान है। वहीं, पश्चिम बंगाल जैसे बडे़ उत्पादक राज्य ने आलू को बाहर बेचने पर रोक लगा दी है। इससे आपूर्ति का सारा दारोमदार अब उत्तर प्रदेश पर आ गया है। इसी के चलते स्टॉकिस्ट भी सक्रिय हो गए हैं। आलू की आपूर्ति प्रभावित होने से मंडियों में आलू का मूल्य लगातार बढ़ रहा है।
दरअसल, इस बार मानसून पिछले कई सालों के बाद लंबे समय तक सक्रिय रहा। इससे आलू की अगैती खेती बुरी तरह प्रभावित रही। बुवाई समय पर नहीं हो सकी। लगभग 15 से 20 दिनों तक की देरी हुई है। अगैती आलू को तैयार होने में 60 से 65 दिन लगते हैं। इस बार आलू की बुवाई सितंबर के आखिरी हफ्ते में हो पाई है, जिसके तैयार होने में अभी समय लग सकता है। इसके बाजार में आने में दो सप्ताह से अधिक समय लग सकता है।
दूसरी ओर, कोल्ड स्टोर में रखे आलू का स्टॉक सीमित है। इसका उपयोग बुवाई के साथ साथ खाने में भी हो रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल में बोई गई अगैती फसल भारी बारिश की भेंट चढ़ गई है। लिहाजा दोबारा बुवाई के लिए अतिरिक्त आलू की जरूरत पड़ी। इससे मांग व आपूर्ति का सारा समीकरण बिगड़ गया है। इसी किल्लत के दौर में पश्चिम बंगाल ने आलू की बिक्री किसी दूसरे राज्य में करने पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार के इस फैसले का असर देश के दूसरे राज्यों की मंडियों पर पड़ा है।
आलू की सर्वाधिक 35 फीसद पैदावार उत्तर प्रदेश में होती है। दूसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल है, जहां कुल पैदावार का 23 फीसद आलू होता है। दिल्ली समेत उत्तर भारत के सभी राज्यों में आलू की आपूर्ति उत्तर प्रदेश की मंडियों से होती है
Source- News in Hindi
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