Monday, 25 November 2013

'I feel humiliated' : says Law intern


sexual harassment

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से हाल में सेवानिवृत्त हुए एक न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली प्रशिक्षु महिला वकील (इंटर्न) का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति उसे शक की निगाह से देख रही है और वह अपमानित महसूस करती है। उसे लगातार यह सही साबित करना होगा कि वह झूठ नहीं बोल रही है। इसका कारण है कि कानूनी तंत्र महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संवेदनशीलता के साथ निपटने में उतना सक्षम नहीं है।


इंटर्न ने इतनी देर से आरोप लगाने का कारण बताते हुए कहा, 'मुझे यह समय इस तथ्य को स्वीकार करने में लगा कि मेरे साथ यौन दु‌र्व्यवहार हुआ है।'

इस मामले को उजागर करने वाली वेबसाइट 'लीगली इंडिया' ने सोमवार को 'वाल स्ट्रीट जनरल' में प्रकाशित साक्षात्कार के हवाले से यह बात कही है। साक्षात्कार में इंटर्न ने कहा है कि वह(आरोपी जज) एक ऐसे व्यक्ति थे जिनकी वह प्रशंसक थी और आदर से देखती थी। इस मामले में वह कानून का सहारा लेने की सोच रही थी लेकिन उसे डर लगा कि इससे अच्छा के बजाय और बुरा होगा। सबसे पहले तो उसका मामला वर्षो तक खींचा जाएगा। उसके बाद बचाव पक्ष का वकील उसे (अपने सवालों के माध्यम से) अदालत में उस उत्पीड़न के हर क्षण का फिर से अनुभव कराएगा।

तीसरी बात कि यौन उत्पीड़न के मामले में जिसमें कोई ठोस सुबूत नहीं है ऐसी कोई वजह नहीं है कि एक कानून की स्नातक एक ऐसे न्यायाधीश के खिलाफ जीत जाए जिसका रिकॉर्ड बेदाग हो। उदाहरण के तौर पर अब भी जब वह समिति के समक्ष पेश हुई तो उसने महसूस किया कि उसे संदेह की नजर से देखा जा रहा था। उसने पांच माह पहले इस साल मई 2013 में जब अपने परिजनों से कहा तो वे भी औपचारिक रूप शिकायत दर्ज कराने को इच्छुक नहीं थे।

उसने जब इस बारे में अपनी दादी से कहा तो उसे यह समझ नहीं आया कि वह इसे इतना बड़ा मुद्दा क्यों बना रही है। वह इस गलत मानने को भी तैयार नहीं थीं। उनका कहना था कि वे सभी कभी न कभी उत्पीड़न की शिकार हुई हैं। उसकी मां का कहना था कि जो कुछ हुआ वह गलत हुआ लेकिन उसे उस सचाई को स्वीकार लेने चाहिए क्योंकि उसके पास और कोई विकल्प नहीं है।


No comments:

Post a Comment